Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

बहुत हो गया रोना धोना…

बहुत हो गया रोना धोना,
हर जुबान पर था कोरोना।

भय दहशत था चारो ओर।
साँय-साँय का अद्भुत शोर।

वीरां थी जीवन की बगिया।
जान गॅवाई मेरी लखिया।

था कैसा भीषण संताप।
गजब चीख थी बाप रे बाप।

दुख की फैली थी चिनगारी।
कभी न आयी यह बीमारी।

जब से वैक्सीन है आया।
कोरोना का दुर्ग ढहाया।

डा0 वी0 के0 वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय-बस्ती