आगमन है
वसंत का फिर से
खिले हैं ढ़ाक
चलीं वासंती
हवाएं फिर अब
महका मन
पीले सरसों
चादर बिछी भूमि
हरित धरा
यौवन लिए
आया है मधुमास
सौरभमयी
लहलहाते हैं
गेहूं ,चना ,सरसों
मन हर्षित
अमलतास
खिला हुआ है
अद्भुत दृश्य
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)
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