Saturday, May 11, 2024
बस्ती मण्डल

किसान हितों के प्रति समर्पित है सरकार, गुमराह न हों किसान- दिवाकर मिश्र

बस्ती। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भण्डार लिमिटेड अध्यक्ष दिवाकर मिश्र ने कहा है कि विपक्षी दल किसानों को जान बूझकर गुमराह कर रहे हैं। तीनों कृषि कानून किसानोें के हित में हैं और इनके लागू हो जाने से देश के कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आयेगा। वे शुक्रवार को लोहिया मार्केट स्थित शिविर कार्यालय पर पत्रकारोें से बातचीत कर रहे थे।
पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुये भाजपा नेता दिवाकर मिश्र ने कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। केन्द्र सरकार ने किसानों के आन्दोलन को सर्वाधिक महत्व दिया, अनेक चरणोें में वार्ता हुई, सरकार तीन कृषि कानूनों को डेढ से दो वर्ष के लिये स्थगित करने तक का आश्वासन दे चुकी थी किन्तु किसान संगठनों के कुछ गुमराह लोग जिद पर अड़े रहे। यही नहीं गणतंत्र दिवस पर किसानों को टैªक्टर परेड निकालने तक की अनुमति सरकार ने दिया किन्तु दुर्भाग्य ही है कि किसानों ने राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराकर इतिहास को कलंकित करने प्रयास किया। इसे किसी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
भाजपा नेता दिवाकर मिश्र ने कहा कि सरकार ने किसानों से वार्ता का दरवाजा सदैव खुला रखा। अच्छा हो कि किसान सर्वमान्य हल ढूढकर समस्या का समाधान कराने की दिशा में आगे बढ़े। सरकार की किसानों के सम्बन्ध में नीति और नीयत स्पष्ट है। कहा कि आजादी के बाद मोदी सरकार ने पहली बार किसान सम्मान निधि की शुरूआत किया और किसानों के खातों में सीधे धनराशि जा रही है। यही नहीं कोरोना संकट काल में लगातार गरीबों को निःशुल्क अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है और विधवा, विकलांग पेंशन के साथ ही स्वास्थ्य, कृषि बीमा आदि के माध्यम से सहयोग किया जा रहा है। कहा कि पूर्व की सरकारों में किसानों को खाद के लिये लाठियां खानी पड़ती थी किन्तु अब तो करोड़ो गरीब लोगांें को उज्जवला योजना के तहत घरेलू गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया। बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री योजना के तहत ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आवास बने और यह क्रम लगातार जारी है।
केन्द्रीय उपभोक्ता सहकारी भण्डार लिमिटेड अध्यक्ष एवं भाजपा नेता दिवाकर मिश्र ने कहा कि थका हारा विपक्ष जानबूझकर किसानों को उकसाकर भ्रम पैदा करने का षड़यंत्र कर रहा है। किसानों को इस सच्चाई को समझते हुये अपना आन्दोलन वापस ले लेना चाहिये।