आबकारी विभाग के संरक्षण में फल-फूल रहा है शराब के ओवर रेटिंग का कारोबार, खानापूर्ति के नाम पर होती है कार्यवाही
बस्ती: शराब की ओवर रेटिंग पर रोक लगाने में आबकारी विभाग लगातार नाकामयाब साबित हो रहा है। विभाग के अधिकारियों,निरीक्षकों की मिलीभगत से चल रहे ओवररेटिंग के खेल को लेकर सूबे के आबकारी मंत्री भले ही सोशल मीडिया के सहारे लोगों को जागरुक कर रहे हों लेकिन बस्ती जनपद के अधिकारी है कि उनकी कानों में जूं तक नहीं रेंगती। शराब की दुकानों के सेल्समैन बेखौफ होकर नियमों को ताक पर रख कर शराब की बिक्री कर रहें हैं।
आबकारी विभाग के अधिकारियों ,इंस्पेक्टरों के संरक्षण से चल रहे ओवर रेटिंग के खेल को रोकने के भले ही सूबे के आबकारी मंत्री कितने ही जतन कर लें लेकिन यहाँ पर ओवर रेंटिंग पर लगाम लगती दिखाई नहीं दे रही है। अफसर सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई करते हैं। इस अर्थदंड की कार्रवाई का उन्हें कोई भय नहीं दिखता, क्योंकि प्रतिदिन वह लाखों रुपये की ओवर रेटिंग कर लेते हैं। सरकार और प्रशासन आबकारी विभाग पर लगाम कसने में लगे हों लेकिन ओवर रेटिंग नहीं रोक पा रहे हैं। हर दूसरे दिन शराब की ओवररेटिंग को लेकर शिकायतें आती हैं, जिनके समाधान में मंत्री जुटे रहते हैं। पिछले दिनों उन्होंने ओवर रेटिंग रोकने के लिए अभियान भी चलाया था, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। आबकारी विभाग के अफसरों की कार्रवाई ओवर रेटिंग पर भारी नहीं पड़ रही है। शहर तो शहर ग्रामीण इलाक़े में भी शराब की खुलेआम ओवर रेटिंग हो रही है, मगर उसे रोकने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। यूं तो पूरे जिले में ही शराब की ओवर रेटिंग हो रही है। खुद एक ने स्टाफ़ को भेज कर शराब मंगाई तो ओवर रेटिंग मिली, लेकिन ओवर रेटिंग पर प्रभावी नियंत्रण करने में आबकारी विभाग के अधिकारी विफल साबित हो रहे हैं।
सेल्समैन धड़ल्ले से ओवर रेटिंग करते हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है। ऐसा नहीं है कि आबकारी विभाग इन सब गतिविधियों से अनभिज्ञ है, मगर वह जानबूझ कर आंखें मूंदे रहता है। लाखों रुपये की ओवर रेटिंग की बंदरबांट में सब शामिल रहते हैं। आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर से लेकर आबकारी अधिकारी तक का रटा रटाया बयान रहता है कि शिकायत मिलती है तो वह कार्रवाई करते हैं। लेकिन आज तक किसी का लाइसेंस निलंबित नहीं हुआ, जबकि ओवर रेटिंग रोज होती है। आखिर ऐसी कार्रवाई का क्या फायदा? जिससे ओवर रेटिंग न रुक सके।
विभाग का काला कारनामा जिले तक ना ही सीमित रह कर बल्कि जिले के हरैया, बभनान छावनी,कप्तानगंज,महाराजगंज में लगभग सभी जगह धड़ल्ले से चल रहा है जिस पर विभाग कार्रवाई के बदले सफाई देता फिर रहा है जिससे यह रोजगार विभाग की देखरेख में तेजी से फल-फूल रहा है और शौकीनों की जेबों को ढीला कर रहा है
अब तो इन कारोबारियों का और भी चांदी चल रहा है जहां पंचायत चुनाव का बिगुल गांव शहरों में सभी जगह बज चुका है वही इनका भी आमदनी दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है और यहां शौकीनों और प्रत्याशियों की वोटरों के प्रति रुझान बढ़ने से यहां पहले की अपेक्षा भीड़ बढ़ने लगी है जिससे प्रशासन इनके ऊपर शिकंजा कसने के बजाय इनकी ताजपोशी पर लगे हुए हैं और कार्रवाई के नाम पर इनका ढुलमुल रवैया कहीं ना कहीं यह साबित ही कर रहा है कि विभाग इनसे जुड़ा हुआ है और अधिकारी इन पर कार्रवाई के नाम से डर रहे हैं और यह साफ स्पष्ट हो रहा है कि सरकार कितना भी कड़ा रुख अख्तियार करें लेकिन इसमें संलिप्त विभाग और अधिकारियों को किसी प्रकार का भय नहीं है और भ्रष्टाचार इन पर भारी पड़ रहा है