किशोरियों की स्वास्थ्य सुरक्षा में टिटनेस के टीकों का योगदान अहम
संतकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) किशोरियों की स्वास्थ्य सुरक्षा में टिटनेस के टीकों का योगदान बहुत ही अहम है। थोड़ी सी सतर्कता से हम किशोरियों के जीवन को गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा समय – समय पर टिटनेस के टीके लगाए जाते हैं, लेकिन यह जरुरी है कि हर किशोरी को माहवारी शुरु होने के बाद उसे टिटनेस का टीका अवश्य लगवा लें।
जिले के उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ ए के सिन्हा ने बताया कि बच्चों के पैदा होने के बाद डेढ माह, ढाई माह व साढे तीन माह की उम्र में पेंटाडोज में टिटनेस का टीका लगाया जाता है। साथ ही 18 माह का होने पर टिटनेस का एक बूस्टर डोज लगाया जाता है। वहीं 5 साल की उम्र में भी टिटनेस का एक टीका लगाया जाता है। लेकिन जब किशोरियों में माहवारी की शुरुआत होती है तो उस समय टिटनेस का एक बूस्टर डोज बहुत ही जरुरी होता है। कारण यह है कि माहवारी के दौरान असावधानी के चलते हाईजीन न होने के चलते संक्रमण की संभावना बहुत ही अधिक होती है। इस दौरान अगर कहीं आन्तरिक घाव होता है तो उसके जरिए टिटनस के फैलने की संभावना अधिक होती है। कारण यह है कि टिटनस फैलाने वाले जीवाणु बड़े घावों की तुलना में सूक्ष्म घावों पर ज्यादा तेजी से शरीर में प्रवेश करते हैं। वहीं 16 वर्ष की आयु होने पर किशोरियों को टीडी का टीका लगाया जाता है। इसके पश्चात जब गर्भावस्था की शुरुआत होती है तब भी यह टीका महिलाओं को लगाया जाता है। टिटनेस के बचाव में इस टीके का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। टिटनेस के टीके के कारण ही पूर्व में हो रही बच्चों और माताओं की मृत्युदर को कम किया गया है।
*माहवारी स्वच्छता है जरुरी*
किशोरियों के लिए इस दौरान माहवारी स्वच्छता के उपायों को अपनाने की भी जरुरत होती है। कारण है कि इस दौरान संक्रमण की संभावना अधिक होती है। इसलिए माहवारी के दौरान पूरी तरह से स्वच्छ तथा स्टेरेलाइज कपड़ों का ही उपयोग करें। माहवारी स्वच्छता के विभिन्न उपायों को अपनाकर टिटनेस के संक्रमण से बचा जा सकता है।
*छोटे जख्म से टिटनेस का अधिक खतरा*
डाॅ सिन्हा के अनुसार टिटनेस एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का ऐसा रोग होता है जो बैक्टीरियम क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी द्वारा स्रावित एक विष से उत्पन्न होता है। इस रोग के आरंभिक लक्षणों में शामिल है (इसके शारीरिक प्रभावों में सबसे आसानी से नजर पर आने वाले) शरीर में अकड़न और सूजन की समस्या। बाद में उभरने वाले लक्षणों में शामिल होते हैं तीव्र पेशी स्पैज्म, मिर्गी जैसे लक्षण और तीव्र तंत्रिका तंत्र समस्याएं। ग्लोबल हेल्थ डाटा 2017 के अनुसार टिटनेस के मामलों में 10 से लेकर 25 फीसदी तक मौत हो जाती है। टिटनेस एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता है। जबकि, टिटनेस का फैलाव तब होता है, जब टिटनेस का जीवाणु किसी घायल त्वचा और अंदर के ऊतकों में प्रवेश करता है। हैरानी की बात यह है, कि टिटनेस का संक्रमण किसी बड़े जख्म की तुलना में छोटे जख्म से ज्यादा होता है, बल्कि इसका कारण है कि छोटे जख्मों की तुलना में बड़े जख्मों की अधिक सावधानीपूर्वक देखभाल की जाती है और उसे साफ रखा जाता है।