Wednesday, July 3, 2024
साहित्य जगत

नये साल का आगमन…

नये साल का आगमन हो रहा है ।
फिर से मुदित आज मन हो रहा है।।
नया हो सृजन अब मिटे घोर तम भी।
पुलकित धरा हो प्रकाशित गगन भी।
हृदय से तुम्हारा नमन हो रहा है।
फिर से मुदित…………….
उम्मीद जागी नयी आस तुमसे।
उल्लास मन में है विश्वास तुमसे।।
अंधेरों का फिर से शमन हो रहा है।
फिर से मुदित…………….
किसी का किसी से गिला न कभी हो।
खुशियाँ मिलें जो मिली न कभी हो।।
उषा का कली से मिलन हो रहा है।
फिर से मुदित……………
धरा पर धवल चाँदनी की चमक है।
चमन में तेरे आगमन की महक है।
उषा शबनमी आचमन हो रहा है।
फिर से मुदित आज मन हो रहा है।

डॉ कंचनमाला त्रिपाठी
बस्ती (उत्तर प्रदेश)