Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

कृष्ण के गुणों व सुंदरता पर मुग्ध हुई रुक्मणी- आचार्य कौशलेंद्र कृष्ण महराज

बस्ती। नकटी देइ, कप्तान गंज, बस्ती में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन परम् पूज्य कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महराज ने श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनाया।
अपने प्रवचनों में महराज जी ने बताया कि श्री कृष्ण के पास जब रुक्मणी ने संदेश भेजा था कि रुक्मणी के घरवाले इनका विवाह कहीं और करना चाहते हैं, तब उन्होंने श्री कृष्ण से कहा, वह श्री कृष्ण से ही विवाह करना चाहती हैं, क्योंकि विश्व में उनके जैसा अन्य कोई पुरुष नहीं है। भगवान श्री कृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुक्मणी ने मन ही मन निश्चय किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति के रूप में वरण नहीं करेंगी। उधर श्री कृष्ण भगवान को भी इस बात का पता लग चुका था कि रुकमणी परम रूपवती तो हैं ही। इसके साथ-साथ परम सुलक्षणा भी हैं।
संगीतमय भागवत कथा में व्यास पीठ से अपने वर्णन में आचार्य कौशलेंद्र कृष्ण महराज जी ने बताया कि भीष्मक का बड़ा पुत्र रुक्मी भगवान श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था वह अपनी बहन रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था।
जब रुकमणी ने गिरजा की पूजा करते हुए उनसे प्रार्थना की *हे मां तुम सारे जगत की माता हो, इसलिए मेरी भी अभिलाषा पूर्ण करो। मैं श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती। रुक्मणी जब मंदिर से बाहर निकली, तो उन्हें एक ब्राह्मण दिखाई दिया, देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई, उन्हें यह समझने में बिल्कुल भी संशय नहीं रहा कि श्री कृष्ण भगवान ने ही उसके समर्पण को स्वीकार कर लिया है और श्री कृष्ण जी ने विद्युत तरंग की भांति पहुंचकर उनका हाथ थाम लिया और अपने रथ पर बिठाकर द्वारका की ओर चल पड़े। भगवान श्री कृष्ण रुकमणी को द्वारका ले जाकर उनके साथ विधिवत विवाह किया। उन्होंने बताया कि प्रद्युम्न उन्हीं के गर्भ से उत्पन्न हुए थे जो सृष्टि में कामदेव के अवतार थे। श्री कृष्ण की पटरानियों में रुक्मणी का सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थान था। उनके प्रेम और उनकी भक्ति पर भगवान श्री कृष्ण मुग्ध थे, उनके प्रेम और उनकी कई कथाएं और भी बहुत प्रेरक हैं। इस दौरान कथा में सम्मिलित लोगों ने भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी जी के विवाह में उपहार भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
यज्ञाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी के सानिध्य में चल रही दिव्य कथा में अपने सुमधुर स्वर से करन अर्जुन झा ब्रदर्स ने अपने भक्ति गीतों व सोहर से सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद कई अद्भुत व मनमोहक झांकी सैकड़ों की संख्या में मौजूद भगवत भक्तों को भावविभोर कर दिया। इस दौरान भक्तजनों में करिया बाबा,इंद्र प्रकाश तिवारी, एच. पी.तिवारी, राम तिवारी,अंकित, शुभम, ज्योतिषाचार्य पं.अतुल शास्त्री, पं हरीशंकर शुक्ल(अधिकारी), रामायण दुबे, उदय नारायण दुबे आदि उपस्थित रहे। वही श्रीमद् भागवत कथा का समापन 28 नवंबर को होगा। इसके उपरांत 29 नवम्बर को सुबह 11:00 बजे से प्रभु इच्छा तक भंडारे का आयोजन भी किया गया है। जिसकी जानकारी आयोजक करिया बाबा ने दी। सभी से निवेदन है महाप्रसाद में शामिल होकर पुण्य के सहभागी बनें।