Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

कवि सम्मेलन, मुशायरा-सिकन्दर हूं मगर हारा हुआ हूं

बस्ती । किसान रेडियो 90.4 एफ.एम. द्वारा अटल बिहारी बाजपेई प्रेक्षागृह में कवि सम्मेलन, मुशायरा का आयोजन किया गया। अर्चना श्रीवास्तव द्वारा सरस्वती वंदना, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संचालन और ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’ की अध्यक्षता में देर रात तक श्रोताओं ने कवियों, शायरों को सुना। मुख्य अतिथि समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव आई.ए.एस. डा. हरिओम ने कहा कि कवितायेें हमें जीवन से जोडने के साथ ही कठिन समय में सम्बल देती है। उनकी पंक्तियां ‘मैं आपके प्यार का मारा हुआ हूं, सिकन्दर हूं मगर हारा हुआ हूं’ सुनाकर वाहवाही लूटी। आयोजक अतुल कुमार शुक्ल ने कवियों, शायरों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
सतीश आर्य ने कुछ यूं कहा ‘ जब-जब सिया को त्यागते हैं राम, तब तब देती है पनाह एक झोपड़ी’। विनोद उपाध्याय ‘हर्षित’ की गजल अदब के लिहाज से खामोश हो गया, वरना आपके प्रश्न का बेहतर जबाब था’ सुनाकर जीवन से जुड़े प्रश्न उठाये। हर्षित मिश्र की गजल ‘बहाने ढूढ के लाते थे यार एक से एक ,हमारे साथ रहे गम-गुसार एक से एक, कहाँ कहाँ पे अकीदों से सर झुकाए कोई, कदम कदम पे हैं परवरदिगार एक से एक ’ को श्रोताओं ने डूबकर सुना। महेश प्रताप श्रीवास्तव की पंक्तियां ‘ आसान हूं, पर इतना भी आसान नहीं हूं, नादान हूं पर इतना भी नादान नहीं हूं’ ने समय के सत्य को स्वर दिया। संचालन कर रहे डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने जहां अपने हास् व्यंग्य रचनाओं से श्रोताओं को हंसाया वहीं गंभीर रचनाओें से सोचने को विवश कर दिया। उनकी पंक्ति ‘कैकेयी ने केवल जनहित की रक्षा में सबसे प्यारे बेटे को बनवास दे दिया’ के द्वारा श्रीराम कथा के मार्मिक पक्ष को स्वर दिया। शहवाज तालिब की पंक्तियां ‘ मेरी जबा में अदालत भी है, जलालत भी, अगर हो ताबे समाअत तुम्हें तो बोलू मैं’ को सराहना मिली। डा. वी.के. वर्मा ने कुंछ यू कहा‘ लेता जन्म यहां जो वर्मा, उसे एक दिन मरना है, भांति-भांति के परिवर्तन से हमें तनिक न डरना है। अध्यक्षता कर रहे डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी दीपक ने अनेक रचनाओं के माध्यम से बदलते सरोकारों पर रोशनी डाली, उनकी पंक्तियां ‘ भरत है राम लक्ष्मण हम, हमारा इम्तिहां न लो, पिता के इक इशारे पर अयोध्या छोड़ देते हैं’ पर श्रोताओं की खूब वाहवाही मिली।
कार्यक्रम में शिवा त्रिपाठी, अनवर पारसा, भावना द्विवेदी, मिन्नत गोरखपुरी, डा. रचना श्रीवास्तव, डा. अफजल हुसेन ‘अफजल’ जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक, आदि की रचनायें सराही गई। अंत में मुख्य अतिथि डा. हरिओम के साथ ही कवियोें, शायरों को आयोजक मण्डल अतुल कुमार शुक्ल, डा. आर.पी. ंिसंह, जगदीश शुक्ला द्वारा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। अनिल चतुर्वेदी, युवराज, अरूण पाण्डेय, कृष्ण कान्त पाण्डेय के साथ ही बड़ी संख्या में देर रात तक बड़ी संख्या में श्रोता जमे रहे।