Thursday, July 4, 2024
बस्ती मण्डल

महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती, श्रीमती इंदिरा गांधी को जयन्ती की पूर्व संध्या पर किया नमन्

बस्ती । प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान और कबीर साहित्य सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को कलेक्टेªट परिसर में महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के जन्म दिन पर उन्हें याद किया गया।
मुख्य अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की परिस्थितियां भले भिन्न रहीं हों किन्तु दोनों का मूल उद्देश्य समर्थ और शक्तिशाली भारत का निर्माण करना था। इस बड़े उद्देश्य को लेकर दोनों ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। ऐसे महान नारियों को सदैव स्मरण किये जाने की जरूरत है।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रांति की द्वितीय शहीद वीरांगना थीं। उन्होंने सिर्फ 29 साल की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना का स्मरण करते हुये कहा कि ‘सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुम हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ कविता सुनते ही आज भी देश प्रेम जाग जाता है। उनका बलिदान भारत के युवाओं के लिये प्रेरणाश्रोत है।
कार्यक्रम में डा. दशरथ प्रसाद यादव, श्याम प्रकाश शर्मा, मो. वसीम अंसारी, पं. चन्द्रबली मिश्र, डा. पंकज कुमार सोनी, रामचन्द्र राजा, डा. कमलेश पाण्डेय, डा. रामनरेश सिंह मंजुल, परशुराम शुक्ल, विनय कुमार श्रीवास्तव, सोमेश्वर प्रसाद यादव, प्रदीप श्रीवास्तव, दीनानाथ यादव, ओम प्रकाशधर द्विवेदी, आदि ने महारानी लक्ष्मीबाई और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व, कृतित्व पर उनके पूर्व संध्या पर प्रकाश डाला। कबीर साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष मो. सामईन फारूकी ने आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।