Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर हुई गोष्ठी

बस्ती, 04 जून। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर कलेक्ट्रेट परिसर में विचार गोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुये आयुष चिकित्साधिकारी एवं साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा ने कहा पर्यावरण का संरक्षण व सम्बर्धन किसी एक व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी नही है। सामूहिक प्रयासों से बेहतर नतीजे दिये जा सकते हैं। उन्होने काव्यपाठ ‘कोलाहल तुम बांट रहे हो, जूठे पत्तल चाट रहे हो, जिससे शीतल छाया मिलती उसी पेड़ को काट रहे हो’ के जरिये भी पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केन्द्रित कराया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने ‘भाव का परिधान मैला हो गया है, प्यार का रिश्ता कसैला हो गया है, जिस नदी का जल सदा अमृत रहा है, उस नदी का जल विषैला हो गया है’ प्रस्तुत का स्वच्छ पर्यावरण का महत्व बताया। अध्यक्षता कर रहे सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा पर्यावरण का असंतुलन मानव जीवन के समक्ष बहुत बड़ा संकट है। इससे बचने के लिये हमें अपने हिस्से की हरियाली विकसित करनी होगी और उसका संरक्षण करना होगा। साहित्यकार वी.के. मिश्रा ने वृक्ष हमे प्राणवायु देते हैं, हर व्यक्ति व प्राणी कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन करता है, उसे जीवित रहने के लिये प्राणवायु की जरूरत होती है। ऐसे में सम्पूर्ण मानवता को बचाने के लिये हमें पृथी पर कम से कम 35 प्रतिशत भाग पर पौधे लगाने होंगे। कार्यक्रम में बाबूराम वर्मा, पण्डित चन्द्रबली मिश्र, दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद शाद, साइमन फारूकी, विनय मौर्य, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, दीनबन्धु आदि ने पर्यावरण पर केन्द्रिम कवितायें पढ़कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।