Sunday, June 2, 2024
हेल्थ

घर में रहकर कोविड से हुए ठीक, करते रहे ड्यूटी

– तीसरी बार कोरोना पॉजिटिव हुए थे एपीडियोमोलॉजिस्ट उमेश कुमार

बस्ती, 27 अप्रैल 2023। स्वास्थ्य विभाग के आईडीएसपी सेल में तैनात एपीडियोमोलॉजिस्ट उमेश कुमार (48) तीसरी बार कोरोना पॉजिटिव हुए हैं । उन्होंने होम आइसोलेशन में रहकर कोविड प्रोटोकॉल के तहत अपना इलाज करवाया और अब वह स्वस्थ हो नियमित ड्यूटी कर रहे हैं। इससे पहले भी वह दो बार कोविड पॉजीटिव रह चुके हैं। कोरोना से संक्रमित होने के बाद भी तीनों बार उन्होंने अपनी ड्यूटी बखूबी निभाया। कोविड काल में उनकी सेवाओं को देखते हुए विभाग व अन्य स्वंयसेवी संस्थाओं की ओर से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में आईडीएसपी सेल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। कोविड काल में इसका महत्व और भी बढ़ गया। इसी सेल की ओर से कोविड पॉजिटिव मरीजों से सम्पर्क कर उनकी ट्रैवल हिस्ट्री तैयार करने से लेकर उन्हें फैसिलिटी तक एलॉट की जाती है। मरीजों का सारा आंकड़ा यही विभाग जुटाता है। इस सेल में एपीडियोमोलॉजिस्ट की काफी अहम भूमिका होती है।
उमेश कुमार ने बताया कि वह अगस्त 2021 में पहली बार कोविड पॉजिटिव हुए। इसके बाद जनवरी 2022 में एक बार फिर वह संक्रमित हो गए। तीसरी बार 17 अप्रैल 2023 में वह कोविड पॉजिटिव हुए हैं। पहली बार संक्रमित होने के बाद उन्हें लगा था कि अब ड्यूटी करना मुश्किल होगा, लेकिन काम की महत्ता को देखते हुए उन्होंने इलाज के साथ ड्यूटी करने का निर्णय लिया । होम आइसोलेशन में रहकर इलाज करते रहे और समय-समय पर काम भी करते रहे। बीमारी के कारण किसी भी तरह से काम को प्रभावित नहीं होने दिया। दूसरी और तीसरी बार पॉजिटिव होने के बाद स्थितियां काफी सामान्य थी, इसलिए ड्यूटी को घर में रहकर आसानी से कर सके।
अप्रैल 2023 में कोविड केस निकलना शुरू होने के साथ उनकी ड्यूटी इंटीग्रेटेड कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर में लग गई। यहां पर वह मॉस्क लगाने के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान देते रहे, लेकिन फिर भी शायद कहीं चूक हो गई जिसकी वजह से वह फिर संक्रमण की जद में आ गये। एंटीजन जांच कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वह होम आइसोलेशन में चले गए और वहीं रहकर इलाज व ड्यूटी दोनों जारी रखा। होम आइसोलेशन में पौष्टिक आहार का सेवन किया और योग व्यायाम करते रहे। चूंकि दो बार कोविड से ठीक हो चुके थे, इसलिए मन के भीतर कोई भय नहीं था।