Sunday, May 19, 2024
धर्म

मुकद्दस रमजान का तीसरा अशरा जहन्नम से निजात का होता है – मुफ्ती अब्दुलहई

मुकद्दस रमजान का तीसरा अशरा जहन्नम से निजात शुरू हो गया है. हदीस शरीफ में है जिसने सच्चे दिल से तौबा की अल्लाह तआला इस अशरे में उसे जहन्नुम से निजात अता फरमाता है. रमजान के महीने में तीन अशरे होते हैं. पहला रहमत, दूसरा मगफिरत और तीसरा जहन्नम से निजात दिलाने वाला है. इसी अशरे में एक बाबरकत रात शबे कद्र भी है. इस रात में की गई इबादत का सवाब एक हजार रातों क इबादत से बढ़ कर है. ज्यादातर उलेमाओं ने 27 वीं शब को शब-ए-कद्र होने की दलील पेश की है।
जामा मस्जिद नगर बाजार के पेश इमाम मुफ्ती अब्दुलहई ने कहा कि रमजान के अंतिम दिनों का अंतिम अवसर समझकर लोगों को अल्लाह से अपने मां-बाप के साथ स्वयं के गुनाहों की माफी करा लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस साल रमजान में बहुत से लोग नहीं हैं, जो पिछले साल रमजान में थे. इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि अगले साल रमजान में हम लोग रहेंगे या नहीं. इसलिए लोगों को अपनी जिन्दगी का अंतिम रमजान समझकर अल्लाह से गुनाहों की माफ़ी मांग लेनी चाहिए. आगे आने वाली जिन्दगी के लिए अल्लाह से सदगुन और सदबुद्धि मांगनी चाहिए. जुल्म, घृणा की प्रवृति व सोच से अपने आपको बचाने के लिए खूब दुआ करनी चाहिए.
रमजान ही एक ऐसा महीना है जब लोगों को सच्चे कर्मों को करने एवं धार्मिक वातावरण का अतिरिक्त लाभ का अवसर मिलता है. रमजान के बचे दिन-रात का पल-पल लोगों को अच्छे कर्मों में लगाना चाहिए. बुरे कर्मों एवं बुरी सोच से बचने के लिए रो-रो कर अपने रब से दुआ करनी होगी. रमजान में जो रोजेदार को अफ्तार कराएगा उसे गुनाहों से माफी मिलती है. जो ईमान खातिर रमजान में रोजे रखेगा, रात को इबादत करेगा, उसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे ।