Friday, May 17, 2024
बस्ती मण्डल

सर सैयद अहमद खान द्वारा लाई गई शिक्षा की क्रांति ने भारत को चमका दिया- आदिल खान

दुनिया को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसा अनमोल तालीमी इदारा देने वाले मुल्क और कौम की तालीम के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर मुल्क(भारत) को दुनिया में अज़ीम पहचान दिलाने वाले महान शिक्षाविद्, आधुनिक भारत के प्रणेता,स्वतंत्रता सेनानी ,
“अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक
सर सैय्यद ने अलीगढ़ आंदोलन को एक नया रूप प्रदान किया था।
उनकी रचनाओं में ‘आसारुस सनादीद’, ‘असबाबे बगावते हिन्द’,खुत्बाते अहमदिया’,’तफसीरुल क़ुरान’,’तारीख़े सरकशी बिजनौर’ इत्यादि शामिल हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की अकेली मिसाल मेरी मरहूमा वालिदा साहिबा बेगम जनाब अनीसुर रहमान शेरवानी ने 1967 से 1971 तक – साढ़े चार साल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के गर्ल्स स्कूल में पढ़ाया और वेतन / तन्‍ख्वाह नहीं ली !
आपकी तनख्वाह – फ़ीमेल एजुकेशनल एसोसिएशन – को ट्रांसफर होती थी व जिन छात्राओं / तालिबात को फ़ीस के लिए ज़रूरत होती थी – उनकी फीस दे दी जाती थी
सर सैय्यद साहब और आपके साथियों – जिन्होंने अपनी जायेदादें और माली मदद की और दीगर देने वालों को – जिनके बगैर एक शानदार ऐतिहासिक विश्वविद्यालय – जिसने लाखों की किस्मत बदली

एक महान शिक्षण आंदोलन के प्रवर्तक रहे सर सैय्यद अहमद खां का 27 मार्च, 1898 को वफ़ात हो गया
उनकी यौम-ए-वफ़ात के मौक़े पर समाजसेवी आदिल खान (चंबल वाले गुरु जी)ने उन्हें खिराज-ए-अक़ीदत पेश की