Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

रूक्मिणी और कन्हैया का विवाह जीव और ईश्वर का मिलन

बस्ती । जीव जब ईश्वर से प्रेम करता है तो ईश्वर जीव को भी ईश्वर बना देते हैं। जो ईश्वर से मिलना चाहता है उसे अपना जीवन सादा रखना चाहिये। राजकन्या होते हुये भी रूक्मिणी पार्वती जी के दर्शन के लिये पैदल ही गयी। रूक्मिणी और कन्हैया का विवाह जीव और ईश्वर का मिलन है। शरीर रूपी रथ को जो श्रीेकृष्ण के हाथों में सौंप देता है उसे विजय श्री मिलती है । सुदामा ने ईश्वर से निरपेक्ष प्रेम किया तो उन्होने सुदामा को अपना लिया और अपने जैसा वैभवशाली भी बना दिया।मनुष्य का शरीर ही वह कुरूक्षेत्र है जहां निवृत्ति और प्रवृत्ति का युद्ध होता रहता है। यह सद् विचार संत करपात्री जी महाराज जियर स्वामी ने गौर विकास खण्ड के ढोढरी गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किया।
सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि पति यदि धन, सम्पत्ति, सुख सुविधा दे और पत्नी ऐसे पति की सेवा करे तो इसके आश्चर्य क्या है, धन्य हैं सुदामा की पत्नी सुशीला जिन्होने भूखे रहकर भी दरिद्र पति को भी परमेश्वर मानकर सेवा करती रही। भगवान कृष्ण ने जो सम्पत्ति कुबेर के पास भी नही है उसे सुदामा को दिया। सारा विश्व श्रीकृष्ण का वंदन करता है और वे एक दरिद्र ब्राम्हण और उनकी पत्नी सुदामा का वंदन करते हैं।
सुदामा चरित्र का भावुक वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि शारीरिक मिलन तुच्छ है और मन का मिलन दिव्य। यदि धनी व्यक्ति दरिद्रों को हृदय से सम्मान दें तो आज भी सभी नगर द्वारिका की तरह समृद्ध हो सकते हैं। श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश देने के प्रसंग का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग, भक्तियोग का ज्ञान देते हुये भगवान कृष्ण ने कहा कि उद्धव इस अखिल विश्व में मैं ही व्याप्त हूं, ऐसी भावना करना। सुख दुख तो मन की कल्पना है। जो सदगुणो से सम्पन्न है वह ईश्वर है और असंतुष्ट व्यक्ति दरिद्र।
महात्मा जी ने कहा कि तक्षक जगत से पृथक नही है, वह भी ब्रम्ह रूप है। शुकदेव जी ने परीक्षित को ब्रम्ह का दर्शन कराकर निर्भय कर दिया। सतकर्म का कोई अंत नहीं। कथा सुनकर जीवन में उतारेंगे तो श्रवण सार्थक होगा।

आज के कथा में पुलिस उप महानिरीक्षक आर के भारद्वाज का आगमन हुआ उन्होंने कथा का श्रवण साथ ही संत करपात्री जी महाराज का आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
मुख्य यजमान शशिकान्त पाण्डेय, श्रीमती सुनीता पाण्डेय, रमाकान्त पाण्डेय, श्रीमती मीना पाण्डेय ने विधि विधान से व्यास पीठ का पूजन किया। पिता रामचन्द्र पाण्डेय, माता श्रीमती कृष्ण लली पाण्डेय की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में दयाशंकर पटवा, हनुमानगढी के महन्थ बाबा बलराम दास, शैल जायसवाल, बाबूराम वर्मा, चन्द्रबली पाण्डेय, राम सहाय यादव, जोखू प्रधान, मनोज सिंह, रामनरेश यादव, विनोद पाण्डेय, डा. संजय, रवि शंकर, सुखपाल, अम्बिका यादव, लालजी मिश्र, लाल मोहनदास, सूर्य नरायन तिवारी, कम्बल यादव, भगवान प्रसाद मिश्र, राम सूरत यादव, अनीस चौधरी, शेषराम यादव, छोटेलाल गुप्ता, भगवत प्रसाद, शिवाजी यादव, विक्रम चौधरी, सन्तोष कुमार तिवारी, लवकुश, अरविन्द शुक्ल, मयाराम, राजमनि वर्मा, साधू यादव, सुशीला, सुमन, संध्या पाण्डेय के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।