Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

रमजान के पहले अशरे में बरसती है, अल्लाह की रहमते – मुफ्ती अब्दुलहई

मुकद्दस माहे रमजान के महीने में पहले रोजे से दसवें रोजे तक पहला अशरा (दस दिन) का होता है। पहले अशरे को रहमतों और अजमतों का अशरा कहा जाता है। इस अशरे में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की रहमत बरसती है, जिसके चलते रोजेदार रोजे रखकर अल्लाह से रहमतों और अजमतों की दुआएं करते हैं।

रमजानुल मुबारक का हर लम्हा अजमतों वाला होता है। इबादतों के महीना रमजानुल मुबारक को को तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा रहमत, दूसरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का होता है। रमजान का चांद नजर आते ही शैतान को कैद कर लिया जाता है। वहीं जहन्नुम के दरवाजों को बंद कर जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इस पाक महीने में सवाब का दर्जा सत्तर गुना अधिक होता है। पहले रोजे से दसवें रोजे तक रमजान का पहला अशरा होता है। इन दस दिनों में अल्लाह पाक की रहमते और बरकतें नाजिल होती हैं। रोजेदार भी रोजे रखकर अल्लाह से बख्शीश की दुआएं करते हैं। इस अशरे में अल्लाह की इबादत करके मोमिन अपने नाम “ए” आमाल में ढेर सारी नेकियों का इजाफा करता है, अल्लाह की रहमतों और बरकतों की बारिश में नहाता है।

मुफ्ती अब्दुहई ने बताया पहले रोजे से दसवें रोजे तक रमजानl का पहला अशरा होता है। इस अशरे में अल्लाह पाक की रहमते बरसती है। रामजान के महीने में हर मोमिन ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत में गुजारते हैं।