Saturday, May 18, 2024
हेल्थ

24 तारीख को भी आयोजित हो रही पीएम सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक

– एक हजार से ज्यादा गर्भवती को मिल चुका है योजना का लाभ

बस्ती। अब हर माह की 24 तारीख को भी जिला महिला अस्पताल सहित तीन फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) वाली सीएचसी पर ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’ का आयोजन किया जा रहा है। हर माह की नौ तारीख को जिले के 14 ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों सहित कुल 24 स्वास्थ्य इकाईयों पर पहले से ही पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा गर्भवती की जांच कर हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) वाली महिलाओं के सुरक्षित प्रसव कराने के लिए 24 तारीख को एफआरयू जिला महिला अस्पताल, सीएचसी हर्रैया, रुधौली व भानपुर में अतिरिक्त रूप से आयोजन किया जा रहा है।
अप्रैल 2022 से शुरू हुए इस कार्यक्रम में अब तक एक हजार से ज्यादा गर्भवती की जांच कराकर उन्हें लाभांवित कराया जा चुका है। प्रभारी सीएमओ डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि हर माह की नौ तारीख को पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सीएचसी/पीएचसी पर गर्भवती की जांच का कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। इसके अलावा हर माह की 24 तारीख को एफआरयू में अलग से आयोजन कर ज्यादा से ज्यादा गर्भवती को लाभांवित कराने का प्रयास किया जा रहा है। आशा व एएनएम के जरिए गर्भवती को अस्पताल लाकर जांच कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जांच में जो एचआरपी महिलाएं चि्ह्तित हो रही हैं, उनका सुरक्षित प्रसव कराया जा रहा है। जिला महिला अस्पताल के अलावा एफआरयू हर्रैया में भी ऑपरेशन के जरिए प्रसव की व्यवस्था उपलब्ध है।

एफआरयू में है प्रशिक्षित चिकित्सकों की तैनाती
जिला महिला अस्पताल सहित जिले की तीन एफआरयू में प्रशिक्षित चिकित्सकों की तैनाती है। जिला महिला अस्पताल के साथ एफआरयू हर्रैया में इलाज के साथ ही अब ऑपरेशन की भी सुविधा मिलने लगी है। एसीएमओ आरसीएच डॉ. जय सिंह का कहना है कि पहली अप्रैल से अब तक एफआरयू पर होने वाले आयोजन में 1880 गर्भवती की जांच कराई जा चुकी है, जिसमें 253 महिलाएं एचआरपी चि्ह्तित हुई हैं। इन एचआरपी महिलाओं का इलाज कराया जा रहा है। आवश्यकता पड़ने पर इन्हें हॉयर सेंटर के लिए रेफर किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि कम से कम एक जांच विशेषज्ञ चिकित्सक/एमबीबीएस से जरूर कराई जाए। खून, व शुगर आदि की नि:शुल्क जांच कराई जाती है। इलाज कर सुरक्षित प्रसव कराया जा रहा है। इसका मकसद जच्चा-बच्चा की होने वाली मौत को न्यूनतम किया जा सके।