Sunday, July 7, 2024
बस्ती मण्डल

बहुत दानी और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे राजा बलि : सुभाष जी

बस्ती। कल दिनाँक 10 अगस्त, 2022 दिन बुधवार देर शाम बस्ती शहर के प्रतिष्ठित होटल बालाजी प्रकाश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बस्ती नगर द्वारा रक्षाबन्धन पर्व का भव्य कार्यक्रम मनाया गया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता व मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक मा. सुभाष जी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्मकुमारी राजयोगिनीगीता दीदी जी ने की।
कार्यक्रम की शुभारंभ भारत माता, पूज्य डॉ. केशवराव बलिराम हेडगवार और गुरूजी की तस्वीर के सामने प्रांत मा0 सुभाष जी द्वारा दीप प्रज्वलित कर और परम पवित्र भगवा ध्वज को रक्षासूत्र बांधकर किया गया।
मुख्य अतिथि प्रांत प्रचारक गोरक्ष प्रांत मा0 सुभाष जी ने कहा कि रक्षाबंधन पर्व उत्सव धार्मिक ही नही , सामाजिक पर्व भी है।
मुख्य अतिथि जी ने रक्षाबंधन पर्व को पौराणिक कहानी से जोड़ते हुए रक्षाबंधन पर्व के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होने कहा कि ‘रक्षा बंधन’ शब्द का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अर्थ है। रक्षा का अर्थ है सुरक्षा और बंधन का अर्थ है बंधन। यह एक भाई और बहन के बीच प्यार और सुरक्षा के पवित्र बंधन का उत्सव है। यह त्योहार प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है।
उन्होंने अपनी बातें पौराणिक कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया कि राखी से जुड़ी एक सुंदर घटना का उल्लेख महाभारत में मिलता है। सुंदर इसलिए क्योंकि यह घटना दर्शाती है कि भाई-बहन के स्नेह के लिए उनका सगा होना जरूरी नहीं है। कथा है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान की छोटी उंगली थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी आगे आईं और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे। इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी के चीर की लाज रखी। कहते हैं जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा की दिन था।
इसके साथ ही पौराणिक कहानी में राजा बलि की कहानी रक्षाबंधन पर्व से जुड़ी है। राजा बलि बहुत दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी थे। एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। इसी दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर आए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया। इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं। तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया। फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें। भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए। उधर देवी लक्ष्मी परेशान हो गईं। फिर उन्होंने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सामने पहुंचीं और राजा बलि को राखी बांधी। बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं, इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं। इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया। जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीना चर्तुमास के रूप में जाना जाता है जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी तक होता है।
कार्यक्रम का संचालन बौद्धिक प्रमुख राजेश कुमार मिश्र जी ने किया।
कार्यक्रम में बस्ती के विभाग संघ चालक मा0 नरेंद्र भाटिया जी, जिला संघ चालक मा0 पवन तुलस्यान जी, नगर संघ चालक सुधीर जी, विभाग प्रचारक श्री अजय नारायण जी, विभाग सेवा प्रमुख अरविंद जी, विभाग कार्यवाह आशीष जी, जिला कार्यवाह श्रीराम जी, नगर प्रचारक मनीष जी, नगर कार्यवाह अभय जी, अभय पाल जी, मोतीलाल जी आदि के साथ हजारों की संख्या में नगर के नर नारी व बच्चे उपस्थित रहे।