Monday, July 1, 2024
हेल्थ

-टीबी मरीजों के जीवन में निजी चिकित्सक भी जगा रहे पोषण की अलख

गोरखपुर,निजी अस्पताल के चिकित्सकों के पास इलाज करवाने पहुंचे क्षय रोगियों यानि टीबी मरीजों के लिए कुछ चिकित्सक भगवान की भूमिका निभा रहे हैं । वह मरीजों का इलाज तो करते ही हैं, उन्हें निःक्षय पोर्टल पर पंजीकृत भीकरवा रहे हैं । इससे मरीजों को पोषण के लिए इलाज चलने तक प्रति माह मिलने वाले 500 रुपये की पोषण की धनराशि मिल जाती है, उनका नियमित फॉलो अप होताहैऔर मरीज शीघ्रस्वस्थ हो जाते हैं । अप्रैल 2018 से जून 2022 तक इस तरह के 7770 टीबी मरीजों के खाते में 2.14 करोड़ रुपये भेजे गये | इन्होंने निजी चिकित्सक के यहां इलाज करवाया और चिकित्सक की मदद से सरकार के रिकॉर्ड में आ सके ।

महानगर की 38 वर्षीया स्नेहलता के पति विवेक बताते हैं कि उनकी पत्नी में टीबी की पहचान कोविडकाल में हुई थी। जुलाई 2020 में निजी चिकित्सालय ने उनकी पत्नी का निःक्षय पोर्टल पर पंजीकरण करवा दिया । निजी क्षेत्र में पत्नी के इलाज में पैसे तो लगे लेकिन पोषण के लिए जो 3000 रुपये प्राप्त हुए उससे महसूस हुआ कि सरकार को टीबी मरीजों की फिक्र है । यह योजना जरूरतमंद लोगों के लिए काफी कारगर है । इलाज के दौरान उनकी पत्नी ने दूध, अंडा, मीट, मछली व प्रोटीनयुक्त आहार लिया । कोविड काल के कारण और पत्नी की स्थिति खराब होने की वजह से वह सरकारी अस्पताल की सेवा नहीं ले सके, लेकिन उन्हें यह जानकारी है कि सरकारी क्षेत्र में भी टीबी का इलाज निःशुल्क है और निःक्षय पोषण योजना का लाभ भी मिलता है । अब उनकी पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनका कहना है कि जरूरतमंदों को सरकारी अस्पताल में इलाज की निःशुल्क सुविधा प्राप्त करनी चाहिए।

निजी क्षेत्र से सर्वाधिक मरीजों को निःक्षय पोर्टल पर पंजीकृत करवाने वाले चिकित्सक व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सचिव डॉ वीएन अग्रवाल का कहना है कि सरकार की यह योजना वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन में काफी कारगर होगी । वह बताते हैं कि नोटिफिकेशन बहुत पहले से करते रहे हैं लेकिन वर्ष 2018 के बाद जिन 1941 मरीजों को उन्होंने नोटिफाई किया उन्हें निःक्षय पोषण योजना का लाभ मिला । इसके अलावा इन मरीजों के पास स्वास्थ्य विभाग की कॉल जाती है और फॉलो अप होता है जिससे उनकी दवा नहीं छूट पाती । अगर कोई मरीज दवा छोड़ देता है तो फॉलो अप के जरिये उनकी दिक्कतों का पता लगा कर दवा शुरू हो पातीहै। कांटैक्ट ट्रेसिंग और जियोटैगिंग में भी निजी क्षेत्र से नोटिफिकेशन का महत्व है । वह बताते हैं कि पढ़े लिखे और बड़े परिवारों के मरीज भेदभाव के भय से नोटिफिकेशन से मना करते हैं। उन्हें समझाया जाता है कि उनकी पहचान उजागर नहीं होगी तो वह भी तैयार हो जाते हैं ।

*15329 मरीज हुए नोटिफाइड*

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रामेश्वर मिश्र ने बताया कि जिला पीपीएम समन्वयक अभय मिश्र निजी चिकित्सकों के संपर्क करते हैं और उन्हें नोटिफिकेशन के लिए प्रेरित करते हैं । अप्रैल 2018 के बाद 15329 मरीज जून 2022 तक निजी चिकित्सकों द्वारा नोटिफाई किये गये जिनमें से 8854 मरीजों ने खाता विवरण उपलब्ध कराया । इनमें से 7770 मरीजों को लाभ दिया गया । जिले में इस समय 40-45 निजी चिकित्सक टीबी मरीजों को नोटिफाई कर रहे हैं ।

*जिलाधिकारी ने टीबी मरीज को गोद लिया*

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें संबल और पोषक आहार प्रदान कर भी उन्हें ठीक होने में मदद की जा सकती है । इसी कड़ी में जिलाधिकारी ने जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में बुधवार को एक बच्ची को गोद लिया है । बच्ची को चना, गुड़, दलिया, फल आदि की टोकरी देकर आश्वासन दिया कि अगर किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो बच्ची के अभिभावक उनसे मदद ले सकते हैं ।

*नोटिफिकेशन के लिए करें संपर्क*

डॉ मिश्रा ने बताया कि जिला पीपीएम अभय मिश्र से संपर्क कर निजी चिकित्सक अपने यहां इलाज करवा रहे मरीजों को नोटिफाइड कर सकते हैं । मोबाइल नंबर 8299807923 पर पीपीएम से संपर्क कर सकते हैं , जो एलोपैथिक या आयुष चिकित्सक नये टीबी मरीजों की सूचना देते हैं उन्हें भी 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।