Sunday, July 7, 2024
साहित्य जगत

डोली

माँ का अंक मेरा मायका
पिता के स्नेह की छांव
मेरे मायके का अंगना।
भाई बहन की खट्टी
मीठी तकरार घर
के हर कोने की गुंजन।
रेशम‌ ‌की डोरी बांधे,
स्नेह का अटूट बंधन
बहन भाई के हाथ ।
जीवन का सुंदरतम
क्षण जब आती विवाह ,
की शुभमंगल बेला ,
भींगी पलको संग,
अनगिनत सपन सलोने ,
बांध गठबंधन के संग
आती लाड़ो ससुराल।
पग रखती मांगती
सुहागन यही वरदान ,
की ससुराल की
रौनके रचे बढ़े।
मायके की फुलवारी
भी फूले फले।
साजन के प्यार से ,
जीवन भर जाए।
भागो वाली का मन ,
मधुमास सा खिल जाए।
पिया का अग‌ना तेरे
कंगना की खनखन से
नित गूंजे।
रंगना तुम ससुराल को
अपने नूतन जीवन के
प्रीत भरे रंगो से।
पायल की छन छन बोले,
तू सदा हंसती ही रहना।
सुहाग के लाल जोड़े में
तुम ऐसे ही सजती रहना ।
तेरी भीगी पलकें बोलें
बाबुल से ‘जनि करिह तू
ए मोरे बाबुल चिंता”
हर सुख दुख में
धरुगी धैर्य ।
महका दूंगी घर अंगना
की महकेगा मोरा ,
मायके और ससुराल
दोनो ही घर अंगना।

शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश