Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

हंसना भी एक तरह का योग है-डॉ महिमा सिंह

बाल हठ छोड़
आओ करें योग
योग नित कर तू
कंचन सी काया रख तू।

योग का शाब्दिक अर्थ होता है मिलना । तन और मन का मिलन ही योग हैं। योग जीवन की संजीवनी है। यदि कोई भी इससे मित्रता कर लेता है तो समझ लिखिए की उसने जीवन में संजीवनी को की साध लिया। योग हमारे आदिकाल की अमूल्य देन हैं। योग से आप कई असाध्य रोगों को भी साध सकते हैं यह सिद्ध हो चुका हैं। आज के समय की जीवन शैली में योग अनिवार्य हैं। मगर हम आलस्य में इसको महत्व नहीं देते हैं। योग का नियमित अभ्यास आपको सुंदर, सजीला और चुस्त दुरुस्त रखता है। दैनिक होने वाले वात कफ पित्त जनित बीमारिया पास भी नहीं फटकती है।
योग का यत्न पूर्वक योग करना ही बुद्धिमानी हैऔर खुशहाल जीवन जीने की कुंजी |
हमारे राष्ट् के निर्माण के लिए राष्ट्र का भविष्य सुगठित स्वस्थ और फुर्तीला होना ही चाहिए और वो ‘कौन है सोचिए! हमारे नौनिहाल देश का आने वाला भविष्य है। हमें उनको योग से जोड़ना ही होगा।
बालमन जितना सरल होता है उतना ही चंचल और हठीला भी होता है। बच्चों को खेल-खेल में योग सिखाना चाहिए अगर एक ही योग वे प्रतिदिन करेंगे तो बाल स्वभाव के कारण उन्हें वह जल्दी ही नीरस लगने लगेगा हमें समझदारी से क्रमअनुसार उनके स्वभाव को ध्यान मे रखते हुए सूची बनानी होगी । अमली जामा पहनाना दुष्कर तो है पर नामुमकिन भी नहीं ।
रस्सी कूदने की आदत डलवानी चाहिए और नए तरीके जोड़ने होंगे जैसे कौन कितना जल्दी करता है कौन कितनी बार करता है तो उन्हें इसमें आनंद आने लगता है। कुछ ऐसा ही घूमा व करें, परिवर्तन करें कि बाल मन को रुचिकर लगे तो वह अवश्य रुचि लेंगे और योग से जुड़ेंगे।
अनुशासन में योग भी जोड़े। किसी भी कार्य को सफलता के उच्च शिखर पर ले जाना है तो नौनिहाल सबसे महत्वपूर्ण एवं आदर्श कार्य सिद्धा बनते है बस उन्हें समझाने आना चाहिए |
सूर्य नमस्कार, साइकिल चलाना, रस्सी कूदना प्राणायाम यदि इतना
योग भी आप स्वयं करे और बच्चे को भी साथ में कराए तो ये आपका राष्ट्र के स्वस्थ भविष्य निर्माण मे अमूल्य योग दान होगा।

योग शारीरिक तो होता ही है उसे जरूरी है नियमित दिन चर्या मे अपनाना जैसे सही समय से और सही ढंग से पानी पीना भी योग का ही हिस्सा है।
साप्ताहिक या मासिक सफाई में उनसे सहायता लीजिए यह भी योग है जिससे उनमें स्वच्छता के प्रति जागरूकता आएगी।
योग आप कही भी कर सकते हैं करना जरूरी है करना बाकी बातें गौण है।
योग ने आज स्वर्णिम अवसरो के भी द्वार खोल दिए है अत: वर्तमान मे यदि योग स्वस्थ जीवन शैली के लिए महत्वपूर्ण हैं तो वहीं यह राष्ट्र निर्माण में भी सहायक होता है। योग से चरित्र निर्माण भी होता हैं।
एक अच्छा मजबूत शरीर अच्छा स्वास्थय, उत्तम चरित्र, आपको उन्नति के शिखर पर ले जाता है। योग संतुष्टि आनन्द तो प्रदान करता ही है प्रकृति से भी मिलवाता हैं।
आइए योग करे स्वयं का स्वयं से मिलन कराए।
जब आप किसी का दर्द दूर करते है’ तो वो भी प्रसन्न होता है और उसे देख कर आप तो हो गया ना एक पंथ दो काज। दुआएं भी मिलती और कहते हैं दुआओं की रफ्तार बड़ी तेज होती है।योग अनुशासन है जो आपको नियमित करके अनिवार्य रूप से सफल बनाता है। आप एक घंटा योग करने के बाद पूरा दिन कैसे बिताते हैं वह भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे ऋषि-मुनियों ने बताया है कि भोजन करते थे तो वे मौन रहते थे ।मेरी अपनी मामी जी ऐसा करती थी। क्योंकि जब आप मौन रहते हैं तो भोजन को पहले आंखें देखती हैं फिर हाथ स्पर्श करते हैं फिर नाक से आप भोजन की खुशबू ग्रहण करते हैं फिर जबान से उसका स्वाद लेते हुए उदर को संतुष्टि मिलती है। कहने का मतलब है कि सारी इंद्रियां अपना अपना काम सही ढंग से करती हैं तो परिणाम सौ टका होगा ही। नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में उठना और सूर्य को जल देना भी योग की एक कड़ी है। एक अच्छी आदत दूसरी अच्छी आदत को जन्म देती है आइए मिलकर अच्छी आदत डालें। यदि आप स्वस्थ हैं तो आप जीवन में कुछ भी कर सकते हैं मतलब स्वस्थ हैं तो आप मस्त हैं आनंद ही आनंद है लेकिन यदि आप स्वस्थ नहीं हैं तो सब कुछ होते हुए भी आप ना खा सकते हैं ना घूम सकते हैं, बंधन में बंध जाते हैं। इसलिए स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है स्वास्थ्य एक बहुमूल्य निधि है और योग उसकी कुंजी। हमारे ऋषि-मुनियों ने इसीलिए तीर्थों का निर्माण किया और परंपरा चलाई तीर्थ यात्रा की जिससे हम घरों से निकले और बाहर आकर प्रकृति और पर्यावरण से मिले और उससे दोस्ती करें और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ाए।
अंत में यही कहूंगी की जुड़िए और जोड़िए पहले खुद से जुड़िए सिर्फ अपने आप को जोड़िए फिर और लोगों को जोड़िए यही सच्चा योग है मुस्कुराइए और मुस्कुराने की वजह बनिए।
नियमित योग करें और निरोग रहे स्वस्थ भारत आदर्श भारत।
जय भारत। जय हिंद।

मेरी स्वरचित कविता के कुछ अंश

योग करो योग दे निरोगी काया।
योग का बंधू जो तुम
यत्न योग करोगे ,
पाओगे तुम जीवन अमृत।
बनोगे सुंदर सजीले ,
रहोगे सदा फुर्तीले।
चलो पढ़े पहाणा
करते करते योग,
बच्चो आओ करके योग,
सब को सिखाये।
स्वस्थ जीवन अपनाएं।
योग की महिमा निराली
बन जा तू इसका सवाली
मत साथ योग का तू छोड़ना दोस्त नही हूँ ये संजीवनी बूटी,
कर जतन बड़े यतन से रखना तुम ।

शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश