Monday, July 1, 2024
बस्ती मण्डल

*जो सद्गुणों से सम्पन्न, वही ईश्वर है- राधेश्याम शास्त्री*

बस्ती। सुख दुख तो मन की कल्पना है, जो सद्गुणों से संपन्न है वही ईश्वर है। मनुष्य का शरीर ही वह कुरुक्षेत्र है जहां निवृत्ति और प्रवृति का युद्ध होता रहता है इस शरीर रथ को जो कृष्ण के हाथों में सौंप देता है उसे विजय श्री ही मिलती है। जीव जब ईश्वर से प्रेम करता है तो ईश्वर जीव को भी ईश्वर बना देते हैं। यह सद्विचार मंगलवार को श्री राधेश्याम शास्त्री जी नें हर्रैया के तिनौता गाँव में श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन व्यक्त किया। पोथी पूजन व आरती केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य माधवदास ओझा द्वारा किया गया।

कथा को आगे बढ़ाते हुए शास्त्री जी ने बताया कि कंस को यह पता था कि उसका वध श्री कृष्ण के हाथों ही होना है इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित रहा और अंत में श्री कृष्ण अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलायी। कंस वध के बाद श्री कृष्ण ने अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त कराया।
श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की कथा को सुनाते हुए शास्त्री जी ने बताया कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थीं। राजा भीष्म ने लक्ष्मी को पुत्री के रूप में प्राप्त किया, लक्ष्मी तो सभी को किसी न किसी रूप में प्राप्त हैं जैसे धन,पद, प्रतिष्ठा आदि। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि अपनी लक्ष्मी को राजा भीष्म की तरह नारायण से जोड़ता कौन है। रावण, कंस, दुर्योधन जैसे लोगों ने अपनी लक्ष्मी को मांस, मदिरा, जुआ, दुराचार जैसे कुकर्मों से जोड़ा जिसके कारण उनका समूल नाश हो गया। श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के रोचक प्रसंग सुनकर सभी दर्शक भाव विभोर हो गए।
इस दौरान राम प्रसाद ओझा, राम समुज ओझा,इन्द्रा ओझा, अम्बिका ओझा, माधव ओझा, श्री नाथ मिश्र, सुतीक्ष्ण मिश्र, राम नेवाज मिश्र, शिव दत्त मिश्र, हरी राम ओझा,अनूप मिश्र राधेश्याम मिश्र,जगदम्बा, कृपा शंकर, पिंकू मिश्र, लवकुश मिश्र, उत्तम ,बजरंगी, आदर्श मिश्र सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।