Sunday, July 7, 2024
बस्ती मण्डल

बिना बैराग्य के भक्ति रोती है- राधेश्याम शास्त्री

बस्ती। निष्ठा नहीं बदलती है तो धु्रवत्व की प्राप्ति होती है। संसार के सम्मान और अपमान में कुछ नहीं रखा है। परमात्मा के प्यार में ही सब कुछ है। व्यक्ति, संगठन और सिद्धांत यह तीन घटक हैं आदमी की निष्ठा हमेशा सिद्धान्त के प्रति होनी चाहिए। धुव का अर्थ है अटल, विश्वास प्रकाश, भक्त, अलौकिक प्रकाश से चमकता सितारा। जिसके दर्शन से आयु की वृद्धि होती है। यह सदविचार शनिवार को हरैया विकासखण्ड के तिनौता गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन राधेश्याम शास्त्री जी ने भक्ति महिमा का गान करते हुए व्यासपीठ से व्यक्त किया।
महात्मा जी ने कहा कि भोग भक्ति में बाधक है। बिना बैराग्य के भक्ति रोती है। परमात्मा जिसे अपना मानते हैं उसे ही अपना असली स्वरूप दिखाते हैं। मनुष्य परमात्मा के साथ प्रेम नहीं करता इसलिए ईश्वर का अनुभव नहीं कर पाता श्रीकृष्ण के प्रेम में पागल बनोगे तो शांति मिलेगी सब साधनों का फल प्रभु प्रेम है।
महात्मा जी ने कहा भगवान की लीला का कोई भी पार नहीं पाया है। इस संसार में राजा हिरणाकश्यप हुए उसने अपने को ईश्वर घोषित किया। उसके ही घर में बालक के रूप में प्रह्लाद ने जन्म लेकर अपने पिता को ईश्वर मानने से मना कर दिया। वह भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहे। हिरणाकश्यप ने कई यातनाएं दीं। अंत में भगवान ने नरसिंह भगवान का अवतार लेकर हिरणाकश्यप का वध किया। लोगों को हिरणाकश्यप के पापों से मुक्ति दिला दी। इसी प्रकार भक्त धु्रव ने भी भगवान की भक्ति में लीन रहकर उस प्रकाश को पा लिया, जिसे पाने के लिए लोग पूरा जीवन तपस्या में लगा देते हैं।
इस दौरान राम प्रसाद मिश्र, अम्बिका प्रसाद ओझा, माधव दास ओझा, गोपाल मिश्र, उमाकान्त तिवारी, प्रभाकर ओझा,राजमणि पाण्डेय, मन्टू पाण्डेय, शिवाकांत पाण्डेय, जगदम्बा प्रसाद,कृपा शंकर, दया शंकर, प्रेम शंकर, अम्बेश मिश्र, रवीश मिश्र, वेद प्रकाश मिश्र, उत्तम, बजरंगी, अंशू, प्रिंशू, मानस, देओम, आयांश सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।