Monday, May 20, 2024
बस्ती मण्डल

हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर अपनी लेखनी का लोहा मनवाने वाले कलमकारों को नमन

-विशाल पाण्डेय
हिंदी पत्रकारिता का अपना एक बुलंद इतिहास रहा है,आजादी के दौरान भारत देश के पत्रकारों ने अग्रेजो,और अंग्रेजी व्यवस्था के खिलाफ भारतीय जनता में ऐसा जोश भरा की इस देश का बच्चा बच्चा अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया।
प्रताप,स्वदेश,अर्जुन,गांडीव,आज जैसे सैकड़ो अखबारो ने पूरे भारत को काश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक एक कर दिया।
हमारे महान यशश्वी पत्रकारों को इसके लिए तम्माम यातनाएं सहनी पड़ी,मगर उन फूल से चेहरो ने अपना सब कुछ इस देश के लिए होम कर दिया,आइए हम सब उन्हें प्रणाम करें।
आजादी के बाद देश का निजाम बदला,व्यवस्थाएं बदली मगर भारत की पत्रकारिता उसी तेवर पर कायम रही,जिसके नाते हमारे देश मे फैली सामाजिक कुरीतियों,और अंधविश्वास पर तेजी से लगाम लगा।

भारत जैसे विशाल देश मे हमारे अखबारों ने लोगो को स्वास्थ्य,शिक्षा, सुरक्षा के बारे में और मानवीय अधिकारों के बारे में लोगो को जागरूक किया,जिसके कारण आम अवाम ने भी अपनी बात मुखर होकर रखना शुरू किया।

भारतीय पत्रकारिता की लोकतंत्र में मजबूत स्थिती को देख कर इसे आम अवाम द्वारा लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कह कर सम्मान देना निश्च्य ही हमारे उन पीढ़ियों के प्रति सम्मान एवं विश्वास के साथ श्रद्धा को जागृत करता है,जिन्होंने जनता में अपना ऐसा मुकाम बनाया।
हमे अपने उन युवा पत्रकार साथियों पर भी गर्व है जो बिना किसी लाग लपेट के अपना काम तेजी से कर रहे है,आज जब बाजारवाद और भूमंडलीकरण ने इस विश्व को तेजी से चपेट में ले लिया और हर चीज वस्तु के रूप में देखी जा रही हो,ऐसे परिस्थितियों में हमारे देश के तमाम साथियों ने इसे मानव मूल्यों,और तथ्य परक सिद्धातों के आधार पर भारतीय पत्रकारिता की आत्मा को जीवंत रखा है।
आज भी आम अवाम हर तरफ से निराश होने के बाद पत्रकारों के तरफ आशावादी नजरो से देखता है,यही हमारी सफलता का पैमाना है जिस पर हम आज भी खरे उतरते है।
पत्रकारिता दिवस पर हमारी शुभकामना