Sunday, May 12, 2024
शिक्षा

किताबी ज्ञान के साथ साथ बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान भी दें शिक्षक-अशोक श्रीवास्तव

बस्ती, 15 मई। पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के नेतृत्व में मीडिया विजिट कार्यक्रम के तहत सदर विकास खण्ड के परसा जागीर स्थित कम्पोजिट विद्यालय पर पहुंचा।

यहां पत्रकारों ने विद्यालय परिसर, कक्षों, कम्प्यूटर लैब, पुस्तकालय, किचन शेड, मिड डे मील का गहन अवलोकन किया। छात्र छात्राओं ने मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। पत्रकारों ने उनसे सीधा संवाद कर सामान्य जानकारी का परीक्षण किया। इस दौरान सभी ने पूरी तत्परता से सवालों के जवाब दिये। बौद्धिक सत्र को सम्बोधित करते हुये पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा स्कूलों में सिर्फ पाठ्यक्रम से जुड़ी जानकारियां बच्चों को दी जा रही हैं। विषय से हटकर व्यवहारिक ज्ञान देने का अध्यापकों के पास न तो समय और और न इच्छाशक्ति। यही कारण है कि नई पीढ़ी में अनुशासन की कमी देखी जा रही है।

बेहतर होगा किताबी ज्ञान के साथ साथ बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान भी दें। हालांकि अनुशासन के नाम पर बच्चों को डराने की बिलकुल जरूरत नही है, बल्कि उन्हे लोगों का सम्मान करना सिखायें। डरने और सम्मान करने में अंतर है। डरने से विकास प्रभावित होता है और खुलकर संवाद करने से ज्ञान और तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है। अशोक श्रीवास्तव ने अपने सम्बोधन में कहा कि अध्यापक कितना ज्ञानी है, यह मायने नही रखता, वह बच्चों को कितना सिखा पाता है यह मायने रखता है। यहीं से बच्चों में आदर्श चरित्र और बुद्धि का विकास होता है। इसके लिये अध्यापक को नारियल जैसा सख्त होना होगा, जिसका अहसास केवल बच्चों को हो। ऊपर से जितना सख्त अंदर से उतना ही मृदु और कोमल।

उन्होने अध्यापकों से सतत मूल्यांकन और पुरस्कार की पद्धति अपनाने को कहा जिससे बच्चों में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो और आपस में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लग जाये। ऐसा करने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा। कार्यक्रम को सर्वेश श्रीवास्तव, जय प्रकाश उपाध्याय, आशुतोष नरायन मिश्र आदि ने भी सम्बोधित किया। इससे पूर्व सभी पत्रकारों को विद्यालय की ओर से प्रधानाध्यापक डा. शिवप्रसाद एवं ग्राम प्रधान राममूरत ने अंग वस्त्र, प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व बुके देकर सम्मानित किया। मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप जलाकर व चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत हुई। खास बात ये देखने को मिली कि विद्यालय की साज सज्जा की देखरेख, शैक्षिक वातावरण के सृजन तथा बच्चों में अनुशासन के लिये टीम भावना से कार्य करने की परंपरा डाली गयी है।

यहां हर कक्षा में लीडर, कक्षा प्रमुख, कक्षा सचिवों और प्रतिनिधियों का चयन किया गया है। बच्चों को इस लोकतांत्रिक ढांचे से देश को संचालित करने के लिये की गयी संवैधानिक व्यवस्था का ज्ञान कराया जा रहा है। सभी बखूबी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। विद्यालय के समग्र विकास में इनकी भूमिका अहम है। इनकी राय, इनकी डिमांड का विद्यालय समिति पूरा सम्मान करती है और उसे लागू करती है। विद्यालय के स्मार्ट क्लास, ग्रीन गार्डन, व्यवस्थित कक्ष, कम्प्यूटर लैब, पुस्तकालय, साफ सफाई, चहुंओर फैली हरियाली, टाइल और पंखों से युक्त कमरे यहां के खास आकर्षण हैं।

विद्यालय के व्यवस्थाओं पर प्रकाश डालते हुये प्रधानाध्यापक डा. शिव्रपसाद ने कहा विद्यालय में छात्र संख्या 503 है। इस सत्र में 550 होने की संभावना है। पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जैवविविधितीय पौधों का रोपण और संरक्षण किया गया है, जिसमे लगभग 125 प्रजाति से ऊपर छायादार, पुष्पीय, फलदार, औषधीय, दुर्लभ के प्रजाति रुद्राक्ष, चंदन, चीड़, मौलिश्री, फोनिक्स पाम के पौधों का संरक्षण किया गया है। उन्होने अंतम में सभी आगन्तुकों के प्रति आभार जताया। इस अवसर पर मिशन पर्यावरण संरक्षण टीम के सदस्य रामसजन यादव, विजय प्रताप वर्मा, ओम्रपकाश, शम्भूनाथ गुप्ता, सहायक अध्यापक अभिषेक कुमार यादव, राजेश कुमार चैधरी, अख्तरून निसा, आंचल पाल, अवंतिका उपाध्याय, अनुपम पांडेय, अल्पना सिंह, वंदना, राजपति, मयंक रसोइया, गोरखनाथ, शांति, उर्मिला, पद्मावती, निर्मला तथा ग्राम प्रधान राम मूरत आदि की मौजूदगी रही।