मैं एक मज़दूर हूं
पेट पालने को मजबूर हूं
हां मैं एक मज़दूर हूं…!
जीवन के उलझनों में
जकड़ा हुआ जरुर हूं,
किन्तु अपनी जिम्मेदारी
को निभाता भरपूर हूं,
हां मैं एक मज़दूर हूं।
किसने क्या कहा ?
क्या किया…..??
सोचने को समय कहां,
मैं तो अपनी ही…..
थकावट से चूर चूर हूं!
हां मैं एक मज़दूर हूं!
राजनीति के दांवपेंच
मैं क्या जानूं…….
सत्ता धारियों के
लागलपेट मैं क्या जानूं,
मैं इन सब मसलों से
बहुत दूर हूं…..!!!
हां मैं एक मज़दूर हूं!
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ “उत्तर प्रदेश”