Wednesday, July 3, 2024
धर्म

जब ज्ञान का पूरा समावेश आचरण में होने लगे तो समझें कि हो रही है हमारी आत्मोन्नति : पं कृपा शंकर शुक्ल

कुदरहा।/बस्ती। सुख और दुख मानव जीवन का प्रारब्ध बताया जाता है। मानव जीवन मे लाभ- हानि, मान – अपमान प्रारब्ध के अनुरूप मिलता है। कर्म प्रधान है इसलिए हमे जीवन का हर क्षण अच्छे कार्यो मे लगाना चाहिए ।
यह बातें अवध धाम से पधारे कथा वाचक पं कृपा शंकर शुक्ल जी महाराज ने विकास खण्ड कुदरहा के कोरमा गांव मे चल रही नौ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कथा की अमृतवर्षा करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि गोकुल का अर्थ है इन्द्रियों का संचालन केन्द्र। जब ज्ञान का पूरा समावेश आचरण में होने लगे तो समझे कि हमारी आत्मोन्नति हो रही है। योगिराज श्रीकृष्ण चन्द्र को पुत्र रूप में पालन पोषण के लिए यश देने वाली यशोदा व आनन्द देने वाले नन्द की तरह तपस्या करना पड़ेगा।
श्री कृष्ण चन्द्र के जन्म के साथ अच्छाई बुराई एक साथ चल रही है। जन्म के छठे दिन स्तन में जहर लगाकर पूतना आती है। भगवान बुराई रुपी जहर छोड़ दूध ग्रहण कर लेते हैं। पूतना मर जाती है। जन्म के सत्ताईसवें दिन बैलगाड़ी के रूप में सकठासुर, बवण्डर के रूप में तृणावर्त, बृक्ष रूप में यमनार्जुन आता है।
मक्खन चोरी का तातपर्य है कम समय में अनुभव जन्य ज्ञान को ग्रहण कर लोगों में बाँटना। बछड़ा चराने का आशय इंद्रियों के स्वाद को नियंत्रण करने से है। कम ज्ञान होने पर भी जो हमेशा बक बक करे वो है बकासुर। सबको मोक्ष देने के बाद भगवन मक्खन चोरी करते हैं।
कथा में मुख्य रूप से मुख्य यजमान श्रीराम ओझा, ठाकुर शरण ओझा, अद्या प्रसाद ओझा, सरयू प्रसाद ओझा, बंशीधर ओझा, विजय कार ओझा, अजयकार ओझा, सीताराम चौरसिया, दलसाजन सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।