Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

कम लागत में चार गुना अधिक गन्ने का उत्पादन

– रिंग-पिट डिगर मशीन से तैयार किए जाते हैं गड्ढे

मुण्डेरवा। गन्ने की खेती को मुनाफे का व्यवसाय बनाने की सरकारी कोशिश धरातल पर रंग लाने लगी है। चीनी मिल मुण्डेरवा चालु हो जाने के बाद गन्ने की बढ़ी मांग को देखते हुए अधिक उपज हासिल करने की कोशिश में किसानों को रिंग-पिट विधि अधिक भा रही है। इससे कम लागत में चार गुना अधिक उपज हासिल की जा सकती है।
चीनी मिल मुण्डेरवा की 50 हजार कुंतल प्रतिदिन की पेराई क्षमता है। इसे देखते हुए शासन ने बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए मिल की कार्यदाई संस्था एलएसएस को गन्ना विकास की जिम्मेदारी दी है। जिसके फील्ड स्टाफ किसानों को नई तकनीक से गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही आवश्यक जानकारियां व कृषि उपकरण समेत अन्य संसाधन उपलब्ध कराने में मदद करते हैं। जिसका असर एक वर्ष के अंदर दिखने लगा है। किसान वसंतकालीन गन्ना बुवाई के दौरान किसान रिंग-पिट विधि पर सर्वाधिक जोर दे रहे हैं।
इस विधि से किसानों को खेत की जुताई नहीं करनी पड़ती है। रिंग-पिट डिगर मशीन से खेत में गड्ढे तैयार किये जाते है। एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे की केन्द्र से केन्द्र की दूरी लगभग 120 सेंटीमीटर होती है। एक गड्ढा 90 सेंटीमीटर व्यास का होता है। एक हेक्टेयर में 6 हजार से भी ज्यादा गड्ढे तैयार किये जा सकते हैं। गड्ढों की गहराई लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
बुवाई से पहले 5 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद को 60 ग्राम एनपीके, 40 ग्राम यूरिया और 5 ग्राम फोरेट या फुराडॉन डालकर मिट्टी में मिला देते हैं। प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल गोबर की खाद, 150 किलोग्राम एनपीके, 104 किलोग्राम यूरिया और 12 किलोग्राम फुराडॉन का छिड़काव करते हैं। गन्ने के बीज का शोधन के बाद ही बुवाई की जाती हैं। उपचार के लिए किसान गन्ने की दो या तीन आँख वाले टुकड़े काटकर 0.2 प्रतिशत बावस्टिन के घोल में लगभग आधे घंटे तक डुबो कर रखते हैंै। प्रत्येक गड्ढे में 35 से 40 गन्ने की आँख की बुवाई की जाती है। गन्ने के टुकड़ों को गड्ढों के किनारे साईकिल के पहिये की तिलियों की तरह केन्द्र की तरफ जाते हुए बोया जाता है। प्रति एकड़ लगभग 60 कुन्तल गन्ना बीज की आवश्यकता होती है। बोये हुए गन्ने के बीज के टुकड़ों पर लगभग 6 सेंटीमीटर मिट्टी की हल्की परत डालते हैं। मिट्टी दो गड्ढों के बीच से ऐसे चढ़ाते हैं कि दो गड्ढों के बीच नाली बन जाए। जिसका इस्तेमाल बाद में सिंचाई के लिए किया जाता है। गन्ने के पौधे जमीन की सतह से लगभग 8 से 9 इंच ऊपर आ जाने पर आधी मिट्टी गड्ढे में गिरा देते हैं। उससे ठीक पहले हर एक गड्ढे में 40 ग्राम एनपीके और इसकी आधी यूरिया डालते हैं। 15 दिन के बाद पर बाकी मिट्टी को भी हर एक गड्ढे में 40 ग्राम यूरिया और 5 ग्राम फुराडॉन के साथ डालकर गड्ढों को समतल कर देना होता है। इसके एक महीने बाद गड्ढों पर चारों तरफ से मिट्टी चढ़ानी होती है।अच्छी पेड़ी की उपज के लिए प्रति गड्ढा 100 ग्राम एनपीके तथा 50 ग्राम यूरिया डालकर गुड़ाई करते हैं। इससे कल्ले भी तेजी से बढ़ते हैं। इस विधि से किसान लगभग 900 से 1000 क्विंटल या इससे अधिक प्रति एकड़ की पैदावार ले सकते हैं।

गन्ने को गिरने से बचाने के लिए हर एक गड्ढे को पहले चार हिस्सों में बांधना होता है। बाद में दूसरी बंधाई में दो हिस्सों को आपस में बांधकर और तीसरी बंधाई में हर एक गड्ढे को एक गन्ने के साथ बांध लेते हैं। इस तरह गन्ना गिरने की संभावना खत्म हो जाती है। इसके बाद चैथी बंधाई के दौरान पहली बंधाई खोल देते हैं। इसके बाद गन्ना की कटाई जमीन की सतह के नीचे से की जाती है। जिससे पेड़ी की अच्छी फसल मिलती है और कटाई के तुरन्त बाद ही सिंचाई कर दी जाती है।

किसानों को भा रही रिंग पिट विधि से गन्ने की बुवाई
बस्ती जिले के सेमरिहवां ब्लाक के पिपरा कला के किसान अनुप चैधरी ने इस बार एक एकड़ में रिंग पिट विधि से गन्ने की बुवाई की है। अनुप रिंग पिट विधि से गन्ने की खेती कर बेहतर उपज के प्रति उत्साहित हैं। वे कहते हैं कि पश्चिम में इस विधि से किसान पहले से खेती करते आ रहे हैं। इस बार मिल की कार्यदाई संस्था एलएसएस के कर्मियों के सुझाव पर हमने बुवाई की है। एक एकड़ में 1200 गडढे बनाए हैं।प्रत्येक गडढे का व्यास 90 सेमी व गहराई 45 सेमी है। मशीन से प्रत्येक गडढा को तैयार करने में 12 रूपये की लागत आती है। एक गडढे में दो आंखवाले 22 टुकड़े हमने डाले हैं। एक गडढे से औसतन 10 कंुतल गन्ने की पैदावार की उम्मीद है। बनकटी ब्लाक के कोरउं गांव के नंदलाल चैधरी ने भी रिंग पिट विधि से गन्ने की बुवाई की है। नंदलाल कहते हैं कि हमने एक एकड़ में 2700 गडढे किए हैं। एक गन्ना 20 से 25 फुट लंबा होता है। ऐसे में चार गुना अधिक उपज हम हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा बनकटी ब्लाक के उमरी अहरा गांव के अमरपाल चैधरी ने भी रिंगपिट विधि से गन्ने की बुवाई की है। अमरपाल कहते हैं कि हमने पहली बार इस विधि से बुवाई की है। उम्मीद है की हमें बेहतर उत्पादन हासिल हो सकेगा। इसके अलावा अन्य किसान भी रिंग पिट विधि से गन्ने की बूवाई पर जोर दे रहे हैं।