Thursday, May 9, 2024
बस्ती मण्डल

माध्यम प्राथमिक विद्यालय कानवेन्ट स्कूलों को चुनौती दे रहा है

बस्ती। जनपद के गौर विकास खण्ड में मुसहा प्रथम गांव में स्थित अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय कानवेन्ट स्कूलों को चुनौती दे रहा है। प्रधानाध्यापक समेत 10 अध्यापकों, एक माली और 5 रसोइयों ने मिलकर विद्यालय को ऐसा सजाया है कि हजारों में भी एक ऐसा विद्यालय देखने को नही मिलेगा। यहां बेहद सुन्दर व दुर्लभ प्रजाति के फूलों और पौधों से सजी आकर्षक बागवानी हर किसी को आकर्षित कर लेती है।

प्रधानाध्यापक रामसजन यादव की कड़ी मेहनत, निरन्तरता, समर्पण, दूर की सोच, अनुशासन, स्टाफ के साथ तालमेल, निजी मदों से विद्यालय को बेहद खास बनाने की जिद ने विद्यालय को नई पहचान दिला रही है। इन्होने आमजनमानस के इस भ्रम को तोड़ा है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई और व्यवस्था नही होती। इलाके के लोग इनकी निष्ठा के कायल हैं। इमरजेंसी छोड़कर ये रविवार को भी नियमित विद्यालय जाते हैं। इनका कहना है कि अपने हाथों से जिस विद्यालय को सजाया संवारा है उसे रोज एक बार देखने के बाद सुखद अनुभूति होती है। यही अनुभूति उन्हे नित नया करने की प्रेरणा देती है।

विद्यालय में कुल 15 कमरे हैं। कम्प्यूटर कक्ष, प्रधानाध्यापक कक्ष, अतिथि कक्ष, संगीत कक्ष आदि की व्यवस्था और साज सज्जा देखने लायक है। शौचालय, रसोई, पेयजल किसी व्यवस्था पर कहीं भी उंगली खड़ा करने लायक नही है। प्रायः सरकारी नौकरी करने वालों की मंशा होती है कि ऊपर से भी कुछ मिला जाता तो परिवार चलाना आसान हो जाता। किन्तु यहां के प्रधानाध्यापक धन्य हैं, वे अपनी तनख्वाह से भी लगाने को तैयार रहते हैं। उन्होने दो शिक्षिकाओं और एक माली को निजी स्तर पर नियुक्त किया है, जिससे कक्षायें खाली न जायें और स्कूल कैम्पस का साज श्रंगार हमेशा बना रहे।

स्कूल में इस समय 650 बच्चे पढ़ रहे हैं। इनकी नैतिक शिक्षा, अनुशासन सब मामलों में बच्चों की जितनी तारीफ की जाये कम है। यहां बच्चों को एमडीएम के तहत घर की तरह स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन मिलता है। 5 रसोइया मिलकर 650 बच्चों का भोजन तैयार करते हैं, कोई भी काम को बोझ नही समझता। विडम्बना ये है कि विद्यालय पर प्रशासन की नजर नही है। सही कारण है कि यहां के स्टाफ को प्रोत्साहित नही किया जा रहा है। इतने समर्पण के साथ यदि कोई अपनी जिम्मेदारियां निभाता है उसे सराहना तो मिलनी ही चाहिये। इतना सब करने के बावजूद यहां के स्टाफ व प्रधानाध्यापक संतुष्ट हैं। उनका कहना है सरकार हमे शैक्षिक बदलाव के लिये तनख्वाह देती है, हम अपनी जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निभा रहे हैं।