Monday, July 1, 2024
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अपील -डॉ आलोक रंजन वर्मा

बस्ती सदर क्षेत्र के अभिभावकों पिताओं माताओं भाईयों बहनों मित्रों एवं पत्रकार बन्धुओं। सबसे पहले मैं ये बता दूं मैं डाक्टर होकर राजनीति में क्यों आया? डाक्टर जहां मरीजों की सेवा करता है वहीं अगर वह समाज की सेवा करने में भी संलग्न हो जाये तो उसका जीवन सफल हो जाता है। तमाम डाक्टर समाज सेवा के क्षेत्र में आये जिसके तमाम उदाहरण आपके सामने है उदाहरण के लिए डा. वाई. डी. सिंह आदि। मेरे पिता श्रद्धेय डा0 वी0 के0 वर्मा के व्यक्तित्व कृतित्व से आप भलीभांति परचित है उनका सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा के प्रति समर्पित रहा है। उन्हीं के पगचिन्हों पर चलकर बचपन से ही समाजसेवा करने का मैने व्रत ले लिया। परिणाम स्वरूप डाक्टरी पास करने के बाद भी मैनें समाज सेवा को अपने जीवन की प्रथम प्राथमिकता मानकर जनसेवा की ओर अग्रसर हुआ।
आज मैं देखता हूं चारो तरफ अराजकता, लूट, हत्या, राहजनी और बलात्कार जैसे अपराधो में वृद्धि होती जा रही है भ्रष्टाचार चरमसीमा पर है। बेरोजगारी कितनी बढ़ गई यह कहने की आवश्यता नही है। पढ़े लिखे बेरोजगार नवयुवक आज दिशाहीन हो गये है। गरीबी और भूख से कितने लोग दम तोड़ रहें है। जाति धर्म मजहब मन्दिर और मस्जिद के नाम पर हमको आपस में लड़़ाया जा रहा है। मंहगाई से हर कोई परेशान है। लच्छेदार लुभावने भाषणों से हमे गुमराह किया जा रहा है। केवल फाइलों और आकड़ों में विकास दिखाई दे रहा है लेकिन जमीनी हकीकत से कौन सुपरिचित नही है। ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था को आज उखाड़ फेकने की जरूरत है। जनता परिवर्तन का मन बना चुकी है। किसी कवि ने कहा है कि
’’आपका तो सबसे बेहतर हाल है।
सत्ता का सुख भोगकर मुख लाल है।
मगर दिल पर हाथ रखकर सोचिये,
आम जनता क्या भला खुशहाल है।’’
मैं ज्यादा क्या कहूं मैं भाषण में विश्वास नही करता हम केवल प्रेक्टिकल में विश्वास करते है। जनसेवा तो मै जीवन भर करता रहुंगा। लेकिन आपके आशीर्वाद से सत्ता में आकर और बेहतर ढंग से जनसेवा करने में सक्षम सिद्ध हूंगा। आपका स्नेह और आशीर्वाद हमें मिला तो बस्ती में विकास की झड़ी लगा दूंगा और आपकी उम्मीदो पर पूरी तरह खरा उतरूंगा।
अंत में एक शेर के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं कि
’’कष्ती पर आंच आये तो हाथ कलम करवा लेना।
लाओ मुझे पतवारे देदो मेरी जिम्मेदारी है।’’
आपके स्नेह और आशीर्वाद का आकांक्षी -डा0 आलोक रंजन वर्मा