Saturday, June 29, 2024
हेल्थ

टीबी को दी मात अब दूसरों को कर रहे जागरूक

कुसुमहा निवासी दिवाकर 2015 में हुए थे संक्रमित

बस्ती। साऊंघाट ब्लॉक के कुसुमहा गांव निवासी दिवाकर चौधरी पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वर्ष 2015 में उन्हें टीबी हो गया था। उन्होंने नियमित इलाज करा कर रोग को मात दी और अब वह दूसरे लोगों को टीबी के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उनकी सेवाओं को देखते हुए क्षय रोग उन्मूलन विभाग ने उन्हें टीबी चैम्पियन घोषित किया है। दिवाकर का कहना है नौ मार्च से चलने वाले एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में अपनी टीम के साथ विभाग को वह सहयोग प्रदान करेंगे। वह चाहते हैं कि वर्ष 2025 तक देश से टीबी के खात्मे के अभियान में वह भी भागीदार बनें।

उन्होंने बताया कि वह स्वंय सहायता समूह से शुरू से जुड़े हुए थे। वर्ष 2015 में खांसी की शिकायत हुई तो अपने जानने वाले सीनियर ट्रिटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) अफजल हुसैन से संपर्क किया। उनकी सलाह पर टीबी क्लीनिक में बलगम की जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। एक्स-रे में भी टीबी की पुष्टि हुई। क्लीनिक के तत्कालीन चिकित्सक डॉ. मानवेंद्र पाल को दिखाया तथा उनकी देख-रेख में इलाज शुरू किया। छह माह बाद वह स्वस्थ हो गए। चिकित्सक की सलाह पर दो साल तक हर दो माह पर जांच कराते रहे। अपने साथ पूरे परिवार की जांच कराई। स्वस्थ होने के बाद अब वह टीबी के खात्मे के अभियान में जुड़ गए हैं। वह अब लोगों को बता रहे हैं कि रोग को छिपाएं नहीं, जांच कराकर दवा का कोर्स पूरा करें। खुद स्वस्थ होकर परिवार को सुरक्षित करें। टीबी का इलाज बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी की जटिलताएं बढ़ जाती हैं ।


एमडीआर बच्चे का कराया सफल इलाज
टीबी चैंपियन दिवाकर का कहना है कि उनके गांव के एक 10 वर्ष के बच्चे में टीबी के लक्षण थे। वह मुम्बई से आया था। जांच कराने पर मालूम हुआ कि वह एमडीआर है। इसके बाद हम और हमारे तीन अन्य साथियों ने बच्चे का नियमित कोर्स पूरा कराया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है तथा पढ़ाई कर रहा है। उसका पूरा परिवार सुरक्षित है। उनका कहना है कि समय रहते अगर टीबी की पहचान हो जाए तो रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

नि:शुल्क है जांच व इलाज
टीबी क्लीनिक सहित 23 सीएचसी/पीएचसी पर टीबी की जांच नि:शुल्क है। टीबी क्लीनिक व सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पताल में दवा उपलब्ध है। अगर किसी को एक सप्ताह से ज्यादा समय से खांसी आ रही है, शाम को बुखार आ रहा है तथा भूख कम लग रही है तो उसे चाहिए कि वह सबसे पहले बलगम की जांच कराए। जांच व इलाज सब पूरी तरह मुफ्त है। टीबी रोगी को पोषाहार के लिए 500 रुपए प्रतिमाह विभाग की ओर से भत्ता भी दिया जा रहा है।