Saturday, June 29, 2024
बस्ती मण्डल

रिंग-पिट विधि से गन्ने की बुवाई कर चार गुना अधिक करें उत्पादन

मुंडेरवा/बस्ती।(सात्विक पटेल) बसंतकालीन गन्ना बुवाई के मौजूदा मौसम में रिंग पिट विधि से गन्ने की बुवाई पर कृषि वैज्ञानिक विशेष जोर दे रहे हैं। इनका मानना है कि इस विधि से बुवाई कर किसान चार गुना अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
मंगलवार को बनकटी ब्लाक के कोरउं गांव में किसान नंदलाल चैधरी रिंग पिट डिगर मशीन से गड्ढे तैयार करने में लगे थे। इस इलाके में वैज्ञानिक विधि से गन्ने की खेती करने के लिए नंदलाल विशेषतौर पर जाने जाते हैं। किसान ने बताया कि चीनी मिल मुण्डेरवा की कार्यदाई संस्था एलएसएस के कर्मचारियों के प्रेरित करने पर हमने रिंग पिट विधि से इस बार गन्ने की बुवाई करने का फैसला लिया। यह बताया गया है कि इससे सामान्य विधि से की जा रही बुवाई के अपेक्षा चार गुना अधिक उत्पादन होगा।
कार्यदाई संस्था के गन्ना सलाहकार एसपी मिश्र ने बताया कि रिंग-पिट विधि किसान भाइयों के लिए बरदान साबित हो रही है। किसानों को खेत की जुताई करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। सबसे पहले रिंग-पिट डिगर मशीन से खेत में गड्ढे तैयार किये जाते है। एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे की केन्द्र से केन्द्र की दूरी लगभग 120 सेंटीमीटर होती है। हर एक गड्ढा 90 सेंटीमीटर व्यास का होता है। एक हेक्टेयर में 6 हजार से भी ज्यादा गड्ढे तैयार किये जा सकते हैं। गड्ढों की गहराई लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
गड्ढों में गन्ना की बुवाई से पहले लगभग 5 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद या गोबर की खाद को 60 ग्राम एनपीके, 40 ग्राम यूरिया और 5 ग्राम फ्यूराडान डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल गोबर की खाद, 150 किलोग्राम एनपीके, 104 किलोग्राम यूरिया और 12 किलोग्राम फ्यूराडान का छिड़काव करें।

बीज का उपचार व बुवाई के तरीकें

किसान केवल स्वस्थ गन्ने के बीज का ही इस्तेमाल करें और शोधन के बाद ही बुवाई करें। उपचार के लिए किसान गन्ने की दो या तीन आँख वाले टुकड़े काटकर 0.2 प्रतिशत बावस्टिन के घोल में लगभग आधे घंटे तक डुबो दें। उपचार के बाद प्रत्येक गड्ढे में 35 से 40 गन्ने की आँख की बुवाई की जाती है। गन्ने के टुकड़ों को गड्ढों के किनारे साईकिल के पहिये की तिलियों की तरह केन्द्र की तरफ जाते हुए बोवा जाता है। प्रति एकड़ किसान लगभग 60 कुन्तल गन्ना बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। बोये हुए गन्ने के बीज के टुकड़ों पर लगभग 6 सेंटीमीटर मिट्टी की हल्की परत डाल दें। बुवाई के समय गड्ढों में नमी रखें।
गन्ने के पौधे जमीन की सतह से लगभग 8 से 9 इंच ऊपर जब आ जाएं, उस समय लगभग आधी मिट्टी गड्ढे में गिरा दें। लेकिन उससे ठीक पहले हर एक गड्ढे में 40 ग्राम एनपीके और इसकी आधी यूरिया डाल दें। 15 दिन के बाद शेष मिट्टी को भी हर एक गड्ढे में 40 ग्राम यूरिया और 5 ग्राम फुराडॉन के साथ डालकर गड्ढों को समतल कर दें। इसके एक महीने बाद गड्ढों पर चारों तरफ से मिट्टी चढ़ा दे।

गन्ने में सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

फसल की बारिश से पहले 7 से 8 सिंचाई दें। फसल में निराई एवं गुड़ाई आवश्यकतानुसार करें। विकास के साथ ही फसल से सूखी पत्तियों को निकाल दें। इससे सामयिक कीट जैसे- स्टॉक बोरर या अन्य कीट नहीं लगेगा। पत्तियों को खेत में ही बिछाया जा सकता है जो सड़कर खाद बन सके। गन्ने को गिरने से बचाने के लिए हर एक गड्ढे को पहले चार हिस्सों में बांधना होगा। बाद में दूसरी बंधाई में दो हिस्सों को आपस में बांधे और तीसरी बंधाई में हर एक गड्ढे को एक गन्ने के साथ बांध लें। इस तरह गन्ना गिरने की संभावना खत्म हो जाती है। चैथी बंधाई के दौरान पहली बंधाई खोल दें। रिंग-पिट में गन्ना की कटाई जमीन की सतह के नीचे से करें जिससे पेड़ी की अच्छी फसल मिले और कटाई के तुरन्त बाद ही सिंचाई कर दें। गन्ने की अच्छी पेड़ी की उपज लेने के लिए प्रति गड्ढा 100 ग्राम एनपीके तथा 50 ग्राम यूरिया देकर गुड़ाई कर दें। इससे कल्ले भी तेजी से बढ़ते हैं। रिंग-पिट विधि से गन्ना बुवाई में पैदावार की बात करें तो किसान लगभग 900 से 1000 क्विंटल या इससे अधिक प्रति एकड़ की पैदावार ले सकते हैं।