Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

गन्ने के फसलों को नकसान पहुंचा रहे नीलगाय,सुरक्षा के लिए घरेलु नुस्खे अपनाने की सलाह

मुंडेरवा/बस्ती।(सात्विक पटेल) गन्ने के तैयार फसलों को नीलगाय तेजी से नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस बीच इससे बचाव के लिए घरेलु नुस्खों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। जिससे की समय से शेष फसलों को बचाया जा सके।

उत्तर प्रदेश चीनी व गन्ना विकास निगम लिमिटेड की मुण्डेरवा इकाई की कार्यदाई संस्था एलएसएस द्वारा क्षेत्र में गन्ना का परिक्षेत्र बढ़ाने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। जिसका परिणाम रहा कि क्षेत्र में शरदकालीन मौसम में गन्ने की रिकार्ड बुवाई कराई गई। अब किसानों के लिए उन फसलों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है। कमोबेश क्षेत्र के सभी गांवों के किसानों को नीलगाय के प्रकोप से गन्ने को बचाना मुश्किल साबित हो रहा है। इसे देखते हुए कार्यदाई संस्था एलएसएस के अधिकारी व कर्मचारी लगातार किसानों को नीलगाय से बचाव के लिए लोहे के जाली से खेतों की घेराबंदी करने समेत घरेलू नुस्खे अपनाने पर भी जोर दे रहे हैं।

सेमरियवां ब्लाक के मरसौना गांव के किसान रामचंद्र कहते हैं कि छह बीघा गन्ने की बुवाई की थी। जिसे नीलगाय ने पूरी तरह नुकसान कर दिया। सरौली गांव के किसान विनय पाण्डे ने एक एकड़ क्षेत्रफल में गन्ने की बुवाई की है। विनय का कहना है कि नीलगाय पूरी तरह गन्ने के पौधे को चर गए हैं। गरथवलिया के किसान जवाहिर चैधरी, अरविंद चैधरी, जीत नारायण चैधरी, अवध राम चैधरी, शीतला प्रसाद, जगदीश प्रसाद द्वारा सीओ 118 व सीओ 8272 प्रजाति की गन्ने की बुवाई की गई थी। जिसे पूरी तरह नीलगायों ने बर्बाद कर दिया है। इसके अलावा बेलपोखरी, इटहर, करोम, दीक्षापार, हल्लौर, पड़री, परासी के किसान नीलगायों से परेशान हैं।

नीलगाय से बचाव के किसानों को दी जा रही सलाह

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि हर्बल घोल की गंध से नीलगाय और दूसरे जानवर 20-30 दिन तक खेत के आसपास नहीं फटकते हैं। कृषि के जानकार, वैज्ञानिक और केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा संचालित किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) के किसान सलाहकार किसानों को इन देसी नुस्खों को आजमाने की सलाह दे रहे हैं।जिसे किसान घर में बना सकें और लागत कम आए। खुद नीलगाय के गोबर से तैयार घोल की गंध से ये (नीलगाय) दूर तक नहीं भटकती हैं।
नीलगाय को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए 4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इसे 15 लीटर पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है। बीस लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एकलीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इसके अलावा एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है। गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय खेतों के पास नहीं फटकती। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है।
खेत की मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, एलेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण करके भी नीलगाय से सुरक्षा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त खेत के चारों ओर कंटीली तार, बांस की फंटियां या चमकीली बैंड से घेराबंदी करके भी नीलगाय से फसलों का बचाव कर सकते हैं। खेत में आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नीलगाय को आने से रोका जा सकता है।
उत्तर प्रदेश चीनी व गन्ना विकास निगम लिमिटेड की मुंडेरवा इकाई के प्रधान प्रबंधक ब्रजेंद्र द्विवेदी ने बताया कि फसलों के बचाव के लिए किसान लोहे के तार की जाली से खेतों की घेराबंदी कर सकते हैं। ये जाली चीनी मिल द्वारा किसानों को 28 प्रतिशत अनुदान पर दिया जा रहा है। जिसका किसान अधिक से अधिक लाभ उठा सकते हैं।