Sunday, May 19, 2024
बस्ती मण्डल

हिन्दू, मुसलमान भारत की दो आंखे, जयन्ती पर याद किये गये सर सैयद अहमद खान

बस्ती। रविवार को शाइन इंस्टीट्यूट आफ साइन्स गांधी नगर बस्ती में सर सैय्यद डे उत्साह के साथ केक काटकर मनाया गया। इस मौके पर छात्रों को उनके बारे में जानकारी देने के साथ ही गोष्टी का भी आयोजन किया गया ।
चेयरमैन अयाज अहमद ने कहा कि सर सैयद अहमद खान 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सादात (सैयद) परिवार में पैदा हुए। बचपन से ही वे बहुत प्रतिभाशाली और गंभीर स्वभाव के थे, उम्र के साथ धीरे-धीरे उन्होंने एक महान विद्वान एवं समाज सेवक के रूप में ख्याति प्राप्त की। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक सर सैयद अहमद खान सबसे करिश्माई और दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में उभरे और विश्व पटल पर उनकी एक अलग पहचान बन गयी। उन्होंने भारतीय समाज विशेष रूप से भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया. सर सैयद अहमद खान यह बात अच्छी तरह जान चुके थे कि सशक्तीकरण केवल ज्ञान, जागरूकता, उच्च चरित्र, अच्छी संस्कृति और सामाजिक पहचान से ही आ सकती है। ज्ञान के क्षेत्र में उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
प्रिंसिपल मो. आसिफ खान ने सर सैयद अहमद खान के उपलब्धियों से परिचित कराते हुये कहा कि पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि वह जानते थे कि आधुनिक शिक्षा के बिना प्रगति संभव नहीं है. सर सैयद अहमद खान अपने आलोचकों चाहे वे मुसलमान हों या हिंदू के द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब नहीं दिया करते, केवल अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखते। उनका मानना था कि अगर वे अपने आलोचनाओं पर गये, तो वे अपने मिशन में कभी कामयाब नहीं होंगे। इसी सहनशीलता का परिणाम है कि आज सर सैयद अहमद खान को एक युग पुरुष के रूप में याद किया जाता है और हिंदू तथा मुसलमान दोनों ही उनका आदर करते हैं। सर सैयद अहमद खान ने सदा ही यह बात अपने भाषणों में कही थी कि, ‘हिंदू और मुसलमान भारत की दो आंखें हैं, अगर इनमें से एक आंख थोड़ी सी भी खराब हो गयी तो इसकी सुंदरता जाती रहेगी। इस अवसर पर डायरेक्टर अरशद अली इदरीसी ,रफी अहमद, टी पी पाण्डे, नवाज हैदर , हमजा, सना, शमा ,अयाज हैदर , शास्वत त्रिपाठी, शहादत हुसैन, सुल्तान, अलसबा नूर ,आयशा ,नादिया , पंकज पाण्डेय, इमरान ,बर्न्टी सहित तमाम छात्र उपस्थित रहे।