Saturday, June 29, 2024
बस्ती मण्डल

आहार निद्रा संयम ही मनुष्य के स्वस्थ जीवन का आधार है, आहार के शुद्ध होने से मन शुद्ध होता है-आचार्य सुरेश जोशी

बस्ती। आर्य समाज नई बाजार बस्ती के तत्वावधान में स्वामी दयानन्द विद्यालय सुर्तीहट्टा बस्ती में चल रहे श्रावणी उपाकर्म एवं वेद प्रचार के चतुर्थ दिवस केअवसर पर रामजानकी मंदिर निर्मलीकुण्ड पर जीतेन्द्र यादव की अगुवाई में यज्ञ किया गया जिसमे राजेश्वर त्रिपाठी मुख्य यजमान रहे। इस अवसर पर महन्त बालक दास जी महाराज ने पहले तो यज्ञ में बहुत धुआँ होता कहकर यज्ञ की अनुमति नहीं दी पर जब आचार्य सुरेश जोशी ने बताया कि वैदिक यज्ञ में धुआँ नहीं होता तो वे ना केवल अनुमति दिये बल्कि उन्होंने यज्ञ में आहुतियाँ भी दीं और इस आयोजन के लिए आर्य समाज के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दीं। इस अवसर पर पण्डिता रुक्मिणी आर्य के भजनों को सुनकर लोग हर्षित हुए। सायंकालीन सत्र में आचार्य सुरेश जोशी ने सुखी जीवन का आधार विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि आहार निद्रा संयम ही मनुष्य के स्वस्थ जीवन का आधार है। आहार के शुद्ध होने से मन शुद्ध होता है और शुद्ध मन से ही परमात्मा की उपासना की जाती है। शास्त्र कहते हैं कि आहार की शुद्धि से सत्य तत्व की शुद्धि होती है और सत्य की शुद्धि से हमारा मन परमात्मा में लगता है। कहा कि बीमार शरीर से ईश्वर प्राप्ति संभव नहीं। गाय, पक्षियों तथा जरूरतमंदों को खिलाने के बाद जो मिल जाए, श्रद्धा से खाने के उपरांत जिससे आत्मा तृप्त हो उसे ही आहार कहते हैं। निंद्रा के बारे में बतलाया कि निद्रा मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग है जिससे मनुष्य पुनः ऊर्जा को प्राप्त होकर के धर्म अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति हेतु पुरुषार्थ करता है। चोरी करने, झूठ बोलने, परद्रोह करने, चाह और चिंता करने वालों को निद्रा नहीं आती। नींद का ना आना भी बहुतायत रोगों का कारण होता है। अच्छी नींद के लिए कठोर परिश्रम, कर्तव्य का पालन, मन में संतोष आवश्यक है। संयम के बारे में कहा कि जिसकी दिनचर्या अनियमित हैं तथा इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं है ऐसा व्यक्ति इंद्रियों का दास बन कर के अपने अमूल्य जीवन को नष्ट कर देता है। संयम ही आचरण का निर्माण करता है जिनका आचरण शुद्ध होता है उन्हीं के चरण की पूजा होती हैं। हमारे पूर्वजों का जीवन संयमित रहा इसी कारण से ऋषि मुनि भगवान राम श्री कृष्ण सहित लोग पूजे जाते हैं इन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन का निर्माण करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ओमप्रकाश आर्य ने कहा कि आर्य समाज ऐसे आयोजनों को इसीलिए प्रमुखता देता है जिससे लोगों के मन व सूक्ष्म शरीर स्वस्थ रहे। संक्रमित मन व शरीर वाला व्यक्ति ना तो अपना भला कर सकता है न ही समाज का। इसलिए आर्य समाज सबको वेदों की ओर लौटने का सन्देश दे रहा है। आचार्य देवव्रत आर्य ने बताया कि 27अगस्त को उपेन्द्र आर्य के नेतृत्व में लोहिया नगर मुहल्ले में यज्ञ का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अलख निरंजन आर्य,अभय त्रिपाठी, बुद्धदेव, संतोष पासवान, गुरु पूजन, संतोष शुक्ल, रोहित कुमार, विष्णु कुमार, शुभम शर्मा, राजकुमार, ओंकार आर्य, अंश आर्य, नवीन श्रीवास्तव, राजेन्द्र जायसवाल, दिलीप कसौधन, अरविंद साहू, अनिता जायसवाल, मीना देवी, लक्ष्मी देवी, शंकर जायसवाल, राधेश्याम आर्य, अदित्यनारायन गिरी, अयोध्या प्रसाद कसौधन, अरविन्द श्रीवास्तव, आदि लोग उपस्थित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय।