Saturday, June 29, 2024
बस्ती मण्डल

यज्ञ के तीन अर्थ हैं देवपूजा, संगतिकरण और दान है जो हमें हर क्षण का सदुपयोग उत्तम कार्य में करने की निरंतर प्रेरणा देते हैंआचार्य सुरेश जोशी

बस्ती।आर्य समाज नई बाज़ार बस्ती द्वारा आयोजित श्रावणी उपाकर्म एवं वेदकथा में आज का यज्ञ संतोष कुमार श्रीवास्तव के अगुवाई में संजय कालोनी में आचार्य सुरेश जोशी के सानिध्य में यज्ञ सम्पन्न हुआ जिसमें सुशील कुमार श्रीवास्तव, संतोष कुमार श्रीवास्तव सपत्नीक मुख्य यजमान रहे। यजमानों को उपदेश देते हुए आचार्य जोशी ने बताया कि यज्ञ के तीन अर्थ हैं देवपूजा, संगतिकरण और दान। जो हमें हर क्षण का सदुपयोग उत्तम कार्य में करने की निरंतर प्रेरणा देते हैं। हमारे निराश मन में आशा का संचार करने वाला काम यज्ञ ही है। जब जब हम यज्ञ कर्म के लिए तैयार होते हैं तो हमारे भीतर स्फूर्ति, जोश व उत्साह भर जाता है और हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए हमें यज्ञादि कर्मों में लगे रहना चाहिए।वैदिक भजनोपदेशिका पण्डिता रुक्मिणी आर्य ने अपने सुंदर भजनों से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। सायंकालीन कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि परमपिता परमात्मा द्वारा मानव कल्याण हेतु चारों वेद संसार के आरंभ से ही प्राप्त है। आज वेद विरुद्ध उपासना पद्धति के कारण मानव अविद्या से युक्त, दुखी और अशांत है। महाभारत काल से पूर्व वेद सभी के लिए अनिवार्य था। चारों वेदों को कण्ठस्थ करने वाले को चतुर्वेदी तीन वेद वालों को त्रिवेदी दो वेद याद करने वालों को द्विवेदी की उपाधि दी जाती थी। एक वेद तो सबको अनिवार्य रूप याद करना होता था। बिना वेद का ज्ञान प्राप्त किए ब्रह्मचारी गृहस्थाश्रम में प्रवेश का अधिकारी नहीं होता था। जिस प्रकार घर में रहने के कुछ नियम होते हैं उसी प्रकार परमात्मा ने संसार में रहने वालों के लिए वेद रूपी नियम दिया है। परमात्मा का आदेश होने के कारण वेद मानव के लिए सुख शांति समृद्धि का माध्यम है। मानव निर्माण व जीवन जीने की विधि वेदों में है वेद के प्रचार प्रसार और उसको व्यवहार में लाने से ही संसार में मानव उन्नति और शांति को प्राप्त होगा। इसी कड़ी में स्वामी दयानन्द विद्यालय सुर्तीहट्टा में आचार्य सुरेश जोशी जी ने विद्यालय के शिक्षकों व बच्चों की एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप भला तो जग भला लोकोक्ति का वेदा अनुकूल संबंध बताते हुए कहा कि लक्ष्य प्राप्ति में जो जागरूक होता है वही सफलता को प्राप्त होता है। ईश्वर का ज्ञान वही हो सकता है जो मानव मात्र के कल्याण के लिए हो जो व्यक्ति जैसा विचार तथा विचरण करता है वह वैसा ही बनता चला जाता है वेद के अनुकूल विचार से व्यक्ति उन्नति को प्राप्त होता है और वेद विरुद्ध विचारों से पतन और दुख को प्राप्त होता है। ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाज़ार बस्ती ने बताया कि 25 अगस्त का यज्ञ माली टोला बस्ती में राधेश्याम आर्य की अगुवाई में आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में सचिन श्रीवास्तव, बुद्धदेव, देवव्रत आर्य, उपेन्द्र शर्मा,
अनिता श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, हिमांशु श्रीवास्तव, आयुषी श्रीवास्तव, प्रियांशु श्रीवास्तव आदि मुख्य रूप में से सहभागी रहे।