Sunday, May 19, 2024
बस्ती मण्डल

दारुल उलूम इस्लामियां फैजाने आलम दमया में यदगार ए कर्बला पर बयान

क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है। 

इस्लाम ज़िंद होता है हर कर्बला के बाद।।

बस्ती-दारुल उलूम इस्लामियां फैजाने आलम परसा दमया में यादगार-ए-कर्बला पर बयान बस्ती से आये मौलाना मोहम्मद आमिर रज़ा क़ादरी ने किया। मोहम्मद अनस रज़ा ने नात शरीफ पेश किया और हाफिज नूर मोहम्मद ने फातेहा खानी किया।
मौलाना मो0 आमिर रज़ा ने बताया की 10 वी मोहर्रम यानी योमे आशूरा का दिन मज़हब-ए-इस्लाम की तारीखों में बहूत ही खास मायने रखता हैं। इसी दिन हज़रत आदम अलैहि0 की पैदाइश व तौबा क़बूल हुवा। इसी दिन हज़रत जिब्राईल अलैहि0 की पैदाइश हुवी। इसी दिन हज़रत नूह अलैहि0 को तूफान से निजात मिला। इसी दिन हज़रत इब्राहीम अलैहि0 को नमरूद की आग से निजात मिला। इसी दिन हज़रत मूसा अलैहि0 की पैदाइश और फिरौन की लश्कर से निजात मिला। इसी दिन हज़रत ईशा अलैहि0 की पैदाइश और आसमान पर उठाया गया। इसी दिन हज़रत यूसुफ अलैहि0 को कुआँ से निकाला गया। इसी दिन हज़रत यूनुस अलैहि0 को मछली के पेट से निजात मिली। इसी दिन हज़रत याकूब अलैहि0 को बीमारी से निजात मिला। इसी दिन हज़रत सुलेमान अलैहि0 को बदशाहीयत अता हुवी। इसी दिन आसमान से पहली बारिश हुवी। इसी दिन हज़रत अय्यूब अलैहि0 की तकलीफ दूर हुवी। इसी दिन हज़रत इद्रीस अलैहि0 को आसमान पर उठा लिया गया। इसी दिन हमारे नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवासल्लम का पहला निकाह हुवा। इसी दिन हज़रत इमाम हुसैन अलैहि0 को शहादत मिली और इसी दिन कयामत भी आएगा।
आगे मौलाना मो0 आमिर रजा ने बताया कि योमे आशूरा मोहर्रम की 9 व 10 तारीख का रोज़ा रखना सुन्नत हैं। हक के लिए यदि खुद को भी कुर्बान करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। यह सबक हज़रत इमाम हुसैन अलैहि0 ने 1400 साल पहले कर्बला के मैदान में खुद व 72 साथियो व परिवार जिसमे अपने 6 माह के मासूम हज़रत अली असगर अलैहि0 की शहादत पेश कर तकयामत तक मिशाल पेश किया हैं। मरदूद यज़ीद अपने हज़ारो सिपाहियों के साथ जीत कर भी हार गया और इमाम हज़रत हुसैन खुद को 72 साथियो को हक़ के लिए क़ुर्बान करके भी तकयामत तक जीत गए। इसी लिए तो क्या खूब कहा गया हैं–

क़त्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यज़ीद है।
इस्लाम ज़िंद होता है हर कर्बला के बाद ।।

इस महफ़िल में प्रबंधक जावेद आलम खान, प्रिंसिपल उस्ताद एजाज़ आलम खान क़ादरी, मास्टर फर्रुख इस्लाम, मजीबुल्लाह, तालिब-इल्म मौजूद रहे।