Saturday, May 18, 2024
विचार/लेख

एक परिचय- वीरांगना फूलन देवी

लेख/विचार। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दस्यु सुंदरी एवम् बैंडिट क्वीन के नाम से विख्यात फूलन देवी का असली नाम फुलवा था | मशहूर पत्रिका टाइम्स ने विश्व की 16 क्रांतिकारी महिलाओं में फूलन देवी को चौथे स्थान पर दर्शाया गया है | फूलन देवी का जन्म जालौन जिला के कालपी थानांतर्गत शेखपुर- गुढा का पुरवा में 10 अगस्त 1963 को हुआ था | इनके पिता का नाम देवीदीन मल्लाह व माता का नाम मुला देवी है | चार बहनों में फूलन तीसरे नम्बर की थी | इनका छोटा भाई शिवनारायण निषाद, जो मध्यप्रदेश पुलिस में कार्यकर्त है | मात्र 11 वर्ष की उम्र में फूलन देवी की शादी कानपुर देहात के महेशपुर गाँव में 30 वर्षीय पुत्तीलाल निषाद के साथ हुई थी | पति व ससुरालियों की प्रताड़ना से फूलन भागकर अपने मायके आ गयी | इनकी मां मुलादेवी ने अपनी फूलन की मौसेरी बहन के यहां त्योंगा गाँव भेज दिया | यहां पर ग़ाज़ीपुर जनपद के जमुआंव गांव निवासी कैलाश मल्लाह का आना जाना था | जो जमुना के किनारे की खेती करता था | मौसेरी बहन के यहां फूलन की मुलाकात कैलाश से हुई | डकैत बाबू गूजर ने फूलन को बीहड़ में उठा ले गया | बाबू गूजर के गिरोह का सदस्य विक्रम मल्लाह फूलन के साथ अत्याचार को देखकर बाबू गूजर की हत्या कर गिरोह का सरदार बन गया |

जब लालाराम एवम् श्रीराम ने फूलन देवी को उठाकर ठाकुरों के गांव बेहमई ले गए और 15 वर्ष की उम्र में 22 ठाकुरों ने 22 दिन तक लगातार बलात्कार किया |
किसी ज़माने में दहशत का दूसरा नाम, कम उम्र में शादी, फिर गैंगरेप और फिर इंदिरा गांधी के कहने पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष 12 फरवरी,1983 को ग्वालियर रोंगटे खड़े कर सकती है | यूं तो फूलन देवी पर आपने बहुत कुछ पढ़ा, जाना, सुना होगा,लेकिन आज हम आपको फूलन देवी के बंदूक थामने के पीछे की कहानी बता रहे हैं | जानिए ‘बैंडिट क्वीन’ से सांसद बनने तक का सफरनामा | फूलन देवी के साथ ये हादसा यही ख़त्म नहीं हुआ | इंसाफ के लिए दर-दर भटकती रही | बाद फूलन ने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने की ठान ली | सन 1981 में 22 सवर्ण ठाकुर जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कराकर गोलियों से छलनी कर दिय | जिस कांड को बेहमई नाम से जाना जाता है | इसके बाद पूरे चंबल इलाके में फूलन का खौफ फैल गया | सरकार ने फूलन को पकड़ने का आदेश दिया | लेकिन यूपी और मध्य प्रदेश की पुलिस फूलन को पकड़ने में नाकाम रही | लेकिन 11 साल तक फूलन देवी को बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ | बाद 1994 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने फूलन को जेल से रिहा किया | निषादों के मशहूर नेता बाबू मनोहरलाल जी सपा-बसपा गठबंधन सरकार में पशुपालन व मत्स्य मंत्री के साथ राष्ट्रीय निषाद संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी थे |

दिनांक 20 जनवरी,1994 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में निषाद रैली का आयोजन किया गया | जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी | तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे | इस रैली में फूलन की बड़ी बहन रुक्मिणी देवी एवम् मां मुलादेवी भी आई थी | वे फूलन की रिहाई की मांग की अपील को लेकर समाज से मांग कर रही थीं | जब मुलायम सिंह मंच पर आए तो उन्होंने उमड़ी भीड़ को देखकर कहा कि आज निषाद समाज जो मांगेगा |देना पड़ेगा | जनता जिस मांग को लेकर कोने कोने से आई थी | अपनी सामाजिक आरक्षण एवम् अधिकारों की मांग को भूलकर “फूलन देवी को रिहा करो रिहा करो” के नारे लगाने लगी | नेता जी ने कहा-फूलन के सारे मुकदमे वापस करायेंगे | फूलन को रिहा करने के बतौर मुख्यमंत्री नेताजी ने फूलन के 46 मुकदमों को वापस ले लिया | जो उत्तर प्रदेश के थानों में दर्ज थे | प्रदेश सरकार ने 20 फरवरी 1994 को ग्वालियर कारगर से रिहा करा दिया | पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत ने एकलव्य सेना बनाकर फूलन को उसका अध्यक्ष बना दिया | इसके दो साल बाद ही फूलन को समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला और वो मिर्जापुर-भदोही सीट से जीतकर सांसद बनीं | दिल्ली पहुंच गईं, उन्होंने भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त पहलवान को पटकनी दी थीं |
1999 में एक बार फिर उन्होंने भाजपा के वीरेन्द्र सिंह को हराकर दुबारा संसद में पहुंची |

इसके बाद साल 2001 फूलन की जिंदगी का आखिरी साल रहा। इसी साल खुद को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाला शेर सिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी के 44 अशोका रोड स्थित सांसद आवास के गेट पर 25 जुलाई, नागपंचमी के दिन उनकी हत्या कर दी | हत्या के बाद राणा का दावा था कि ये 1981 में सवर्णों की हत्या का बदला है | इस हत्या को कई तरह से देखा जाता है | कभी इसमें राजनीतिक साजिश की बू नजर आती है | तो कभी उसके पति उम्मेद सिंह पर भी फूलन की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगता है | उस समय तो राज्य एवम् केंद्र में भाजपा की सरकार थी | व राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे | तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी को हत्या की सीबीआई जांच करानी चाहिए थी |आखिर एक सांसद व अंतर्राष्ट्रीय पटल पर नाम अंकित कराने वाली फूलन की हत्या को इतने हल्के में क्यों लिया गया | भाजपा ने फूलन हत्या कांड की सीबीआई जांच क्यों नहीं कराया ? ताकि जनता के सामने असलियत आती |
फूलन देवी पर फिल्म बैंडिट क्वीन भी बन चुकी है | जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था | इस फिल्म पर फूलन को आपत्ति थी | जिसके बाद कई कट्स के बाद फिल्म रिलीज हुई | लेकिन बाद में सरकार ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया |
बहन वीरांगना अमर रहें…………….

प्रस्तुति-
अवधेश कुमार निषाद मझवार
ग्राम पूठपुरा पोस्ट उझावली,
फतेहाबाद आगरा उ.प्र.283111
Mob.8057338804