Saturday, June 29, 2024
विचार/लेख

पूरे विश्व में है भारतीय सेना की ख्याति

लेख/विचार। भारतीय सेना विश्व में अपने कार्य और शब्दों से ही लोहा मनवाती है। भारतीय सेना की फ़ौज अपने आप में उत्कृष्ठ भाव से भरपूर हैं।यूं कहे कम शब्दों में तो देश के सभी जागरूक युवाओं में कहीं न कहीं प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण के दौरान ही भारतीय सेना में भर्ती होकर देश के नागरिकों की सेवा करने की बीड़ा उठाने की ठान लेते हैं।सुबह शाम खलिहान और मैदानों में कसरत के साथ दौड़ लगाने की प्रक्रिया में अग्रसर रहते हैं।अपनी लग्न और इच्छा से निरछल स्वभाव से देश सेवा की जज़्बा अपने जेहन में पाल कर सेना में भर्ती की प्रथमिकताओ को दैनिक क्रिया में अपनाकर अभ्यास में शिक्षा के साथ लिप्त रहते हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करने के दौरान धड़कने बढ़ जाती हैं ।उम्र के साथ साथ लग्न और जोश में तीव्रता होने लगती हैं ।मन में सपने जैसे सीमा पर तैनात सेना के जवानों की रहनुमा जिंदगी के ख़्याल सताती है। मैं भी कब?कैसे?कितना?जल्दी ही सेना के परिवार में शामिल होकर अपनी चार दिन की जिन्दगी को नागरिक और भारत मां के रक्षा के लिए न्योछावर कर दूं।
भारतीय सेना मुख्यता तीन भागों में कार्य के आधार पर बांटी गई है न कि विचारों के आधार पर।सभी सेना एक जैसे ही कार्य को अंजाम देते हैं।(जल सेना,थल सेना,वायु सेना) यूं ही नहीं वीर सैनिकों की सफ़र आसान होती है।लोग तो यूं ही एक शब्दों में कह देते हैं कि सेना हैं।मगर सेनाओं की फ़ौज शब्द ही अपने आप में अनंत भाव से भरपूर होता है।परिश्रम करने वाले को ही पता होता है कि कैसे?कितने?दुविधाओं को झेलकर देश सेवा जैसे लक्ष्य को हासिल करते हैं।सेना के जवान ही हैं जो सीमा की रखवाली से लेकर विषम परिस्थितियों में भी समस्त नागरिकों को अमन चैन की नींद सुलाते हैं।जवान हड्डियों को भूनने वाली गर्म रेतो, बर्फ़ जमाने वाली ठंडक में, बाढ़ के हालात में निस्वार्थ भाव से निडरता से मुस्तैद रहना सिर्फ और सिर्फ़ सेना के जवान ही रह सकते हैं।अपने प्यारे परिवार से सुदूर रहकर देश के नागरिकों के दिलों पर राज करने और सुकून की जिंदगी जीने के लिए विषम परिस्थितियों के हर घड़ी में मुस्तैद रहते हैं।सेवा कार्य जारी के दौरान दुश्मनों पर तंज करते हुए वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं।सैनिक की मार्मिक इच्छा देश के प्रति भले ही अपने जान की बाजी लगाना पड़े।मगर भारत मां के आंचल में दाग नहीं लगने देने का संकल्प लेकर ही सैन्य जिंदगी जीने को अंजाम देते हैं।कभी कभी देश का दिल दहला देने वाली घटनाएं घट जाती हैं । जैसे सत्तरह 18 साल की उम्र में ही वीरगति को प्राप्त हो जाता है।
हमें अपने देश के सेना के जवानों पर गर्व है।सभी सेना के जवान को जय हिन्द और वीर शहीदों को शत शत नमन।

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126