Saturday, May 18, 2024
विचार/लेख

बन्द हुए शिक्षण संस्थान

-आशीष प्रताप साहनी
कारोना काल पिछले वर्ष से भारत देश में आरंभ हुआ ।जो कि यह ऐसा अभिन्न वायरस रोग है। जिसका वैज्ञानिक संसार में कोई जानकारी इसके संबंध में नहीं है।वैज्ञानिकों ने कविड 19से परिभाषित किया।इस वायरस ने संपूर्ण विश्व में अपनी दस्तक भयंकर महामारी के रूप में दे चुका है।आजादी के बाद पहली बार ऐसा रोग आया जो भयंकर त्रासदी के साथ साथ सभी दैनिक कार्य को अस्थयाई रूप ठप कर दिया ।अनगिनत बेचारे भूख प्यास से अपनी जिंदगी त्याग दिए। सभी कार्य उद्योग धंधे,शिक्षा आदि अति महत्व पूर्ण कार्य बंद हो गए हैं।

शिक्षण कार्य भविष्य की ओर अग्रसर रहता है,लेकिन इस महामारी के दौर में बंद हो गए हैं।
जिससे छात्र जीवन के भविष्य पर ताले लग गए हैं। छोटे बच्चे जो अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आरम्भ करने वाले थे वो भी नहीं कर पा रहे हैं इसके साथ साथ जिनकी शिक्षा प्रगति पर था ।वो भी ठप हो गए हैं।पिछले 2 वर्षों से सभी परीक्षाएं रद्द कर दी जा रही हैं।जिसका दुषपरिणाम समस्त भविष्य के भागीदार को भोगना पड़ेगा। छात्र अपनी शिक्षा और परीक्षा के प्रति निश्चिंत नजर आ रहे हैं।वयस्क छात्र छात्राएं कहीं न कहीं इस कंप्यूटर युग में अपनी शिक्षण कार्य छोड़कर सोशल मीडिया से लिपटे नजर आ रहे हैं।और यह यही तक सीमित नहीं है युवा पीढ़ी बुरे नशे ध्रूमपान,हुक्का,गुटखा, जुआ और अश्लीलता को प्रथमिकता दे रहे हैं।जिससे वर्तमान युवा पीढ़ी और भविष्य की पीढ़ी अवसाद ग्रस्त होगी।अपने देश के प्रशाशन को शिक्षा और परीक्षा जैसी अति महत्व पूर्ण कार्य को सुचारू रूप से संचालित करना चाहिए।

अपने बच्चो के प्रति माता पिता या अभिभावक को भी अपने बच्चे की दिनचर्या का निगरानी करनी चाहिए ।जिससे बच्चा विसंगतियों में न लिप्त हो।कुछ अच्छे सकारात्मक सोच के साथ अपनी भविष्य की नींव मजबूत कर सके।