Friday, May 17, 2024
बस्ती मण्डल

व्याख्यानमाला का आयोजन

रुधौली/बस्ती।कोरोना महामारी के इस द्वितीय दौर में विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क से निराशा और तनाव को कम करने के दृष्टिगत आज दिनांक १०-०५-२०२१ को पूर्वाह्न ११:३० बजे से राजकीय महाविद्यालय, रुधौली, बस्ती में “१८५७ की पुनर्व्याख्या ” विषय पर ज़ूम क्लाउड मीटिंग एप्प के माध्यम से एक ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना के साथ प्रारम्भ किया। तत्पश्चात महाविद्यालय के छात्र अजय कुमार निषाद ने १८५७ में बस्ती जनपद के योगदान पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। सुषमा सिंह ने अपने व्याख्यान में १८५७ की क्रांति में गुमनाम स्थानीय लोगो के योगदान पर प्रकाश डाला। विषय पर प्रकाश डालते हुए मुख्या वक्ता डॉ० सौम्य सेनगुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर – इतिहास विभाग, डी० ए० वी० स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आजमगढ़ ने कहा की १८५७ का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम वास्तव में १० मई को ही एक जनविद्रोह के रूप में सामने आया। भले ही यह विद्रोह असफल हुआ लेकिन भारतीयों के ब्रिटिश शासन के ऊपर जीत की यह शुरुआत थी और इसके बाद भारतीय लगातार जीतते गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० राजेश कुमार शर्मा ने कहा की जिस ब्रिटिश शोषण से मुक्ति की ज्वाला १८५७ में १० मई को मेरठ के लोगो ने प्रज्वलित की, वह अनेकों सेनानियों, बुद्धिजीवियों, क्रांतिकारियों, लेखकों, परिपक़्व राजनेताओं आदि की ब्यापक सूझ-बुझ से बिस्फोटक बनती गयी और अंततः १९४७ में भारत को उसकी अस्मिता वापस दिलायी। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक सम्पूर्ण भारत में सन ५७ की जागृति का प्रभाव दिखा। १८५७ में जन्मी हिन्दू मुस्लिम एकता अंग्रेजों को सदैव चुभती रही और झुंझलाहट में पकिस्तान तक बना दिया गया लेकिन इसके बाववजूद बहुसांस्कृतिक विविधता के गुलदस्ते को वे समाप्त नहीं कर सके। यह १८५७ और १० मई की शानदार जीत है। डॉ. शैलजा ने अपने मुक्तकों और छंदों के माध्यम से १८५७ की शौर्य गाथा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का सञ्चालन महाविद्यालय की छात्रा सुषमा सिंघ और धन्यवाद ज्ञापन अजय कुमार निषाद ने किया। इस दौरान कार्यक्रम में पूजा कन्नौजिया, गोरखनाथ, दीपक निषाद, प्रिंस, शिवांश गुप्ता संजय राव, रुपेश शर्मा आदि ऑनलाइन रूप से जुड़े रहे।