Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

धनवान हो या निर्धन मित्रता में सभी एक समान – सूर्यकांताचार्य

कुदरहा/बस्ती। विकास क्षेत्र के छरदही गांव में चल रही संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के समापन के अवसर पर कथा वाचक सूर्यकांताचार्य जी महाराज ने
भगवान श्रीकृष्ण व सुदामाजी की मित्रता का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि दोनों की मित्रता अनन्य थी, सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया। राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं पर भगवान कहते हैं कि हम उसी के हैं जिसके पास प्रेम,भाव व श्रद्धा तीनो है।वह कभी निर्धन नहीं हो सकता। कृष्ण और सुदामा की मित्रता जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान है। और समाज में लोगों को ऐसा ही आदर्श प्रस्तुत करना चाहिेए।
कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। द्वारिकाधीश अपने महल में थे और जैसे ही द्वारपाल से सुदामा का नाम सुना तो नंगे पैर मित्र की आवा भगत करने पहुंच गए। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या विशेषता है कि भगवान स्वयऺ ही उनके स्वागत में दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पैर पखारे। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
कथा में मुख्य रुप से आचार्य शिवमंगल वैदिक, आनंद मिश्र, फूल चंद दुबे, पंडित अनिल दुबे, राम प्रगट दुबे, जय राम चौधरी, डॉ बालकृष्ण दुबे, निवासे दार, पंडित अमर दुबे, लल्लू चौधरी, मंटू दुबे, दिलीप गोस्वामी, रामकरन मौर्या सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।