Saturday, April 20, 2024
महिला जगत

ना.. कोई करुण कहानी

महिला दिवस पर विशेष

मैं ईश्वर द्वारा रचित आकृति
गढ़ती हूं तुम्हारे सम्पूर्ण अवयवों को
अपनी संवेदना से, भावना से,
रक्त कणों से, तुम्हारे धमनियों में
रक्त संचार कर, अपने लहू से,
स्तनपान करा, दुग्ध से सिंचित कर
पोषित करती हूं ।
और तुम पुष्ट बलिष्ठ देह पा
गर्वित होते ,समझ बैठते, मुझे!
अक्षम,अबला और बना देते असहाय,
मैं मां हूं, भगिनी हूं,बेटी हूं, पत्नी हूं,
इन सबसे पहले मैं, मैं स्त्री हूं….
मुझे मेरा वजूद,मेरा परिचय पा
लेने दो, सिर्फ रिश्ते की हद में ना बांधों
मुझे, मेरी जिंदगी जी लेने दो…!
मुझे, सम्मान की बधाई मत दो,
अपने पौरुष को उत्तम बना,
मेरी दृष्टि में भी बन जाओ उत्तम
मुझे मेरा सम्मान स्वत: मिल जाएगा
जब तुम्हारे साथ निर्भय हो , गुज़र जाऊंगी
तुम्हारी गलियों, तुम्हारे चौराहे से
जब तुम्हारी दृष्टि बेधती सी नहीं,
सहायिका बन उठ पड़ेगी और
मैं कृतकृत्य सी आभार प्रकट करूंगी
तब होगा सम्मान मेरा,जब तेजाब की
शीशी कभी नहीं उड़ेली जाएगी मुझपर
तब होगा सम्मान मेरा जब मेरे आने का
इस दुनियां में आह्वान होगा मेरा…!
तब होगा मेरा दिन, तुम्हारा दिन,..
सम्पूर्ण मानवता का दिन… हां तब होगा,
जब नारी ना अबला होगी और ना होंगे
उसके स्वप्निल आंखों में आंसू…!
सिर्फ और सिर्फ आंचल में दूध होगा।
ना आंखों में पानी होगा ना कोई…
करुण कहानी …ना कोई करुण
कहानी….!!!!

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)