Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

प्रभु सेवा का कोई अन्त ही नहीं है- आचार्य धरणीधर महाराज

सन्तकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) विकास खण्ड सांथा के अंतर्गत अमरहा में चल श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन अयोध्या धाम से आए कथा व्यास श्री धर्म सेवा संस्थान के संस्थापक आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा विषय भोग के बाद शीघ्र ही उत्पन्न होने वाला वैराग्य, वैराग्य नहीं उसका आभास मात्र होता है। कई बार वैराग्य उत्पन्न में तो होता है किंतु माया उसे रहने नहीं देती। मन संसार के जड़ पदार्थों के साथ नहीं ईश्वर के साथ ही एकाकार हो सकता है। श्री कृष्ण लीला सुनने से हृदय में प्रभु का निवास स्थान हो जाता है। पूर्व जन्म का शरीर तो मर गया है किंतु मन नया शरीर लेकर आया हुआ है। जीवात्मा मन के साथ जाता है जो शरीर की अपेक्षा मन की चिंता अधिक करनी है। मृत्यु के बाद भी मन ही आता है पति-पत्नी माता पिता पुत्र परिवार तुम्हारे मरने के बाद यही रह जाएंगे। किंतु मन तो संग ही चलेगा अन्य सभी की ओर से आ सकती कम करके मन की चिंता अधिक करो। यदि कोई सांसारिक वस्तुओं बिगड़ गई या हो गई तो और मिलेगी परंतु यदि मन बिगड़ गया तो दूसरा मन किसी को भी बाजार में मिल नहीं पाएगा। जीवात्मा तन को छोड़ता है किंतु मन को साथ ले जाता है। अतः मन को हमेशा संभालते रहनाअपने दुख सुख की बातें कन्हैया से एकांत में कहना। अपने दुख की कथा कृष्ण के सिवाय किसी और से ना कहना क्योंकि तुम्हें सुख केवल परमात्मा ही दे सकते हैं। भगवान ने माखन चोरी करके अपने ग्वाल बालों को माखन मिश्री खिलाया। इंद्र ब्रज वासियों पर कुपित हुए तो ब्रज में भयंकर वर्षा की परंतु श्रीकृष्ण ने गिरिराज पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर धारण करके ब्रज वासियों की रक्षा की। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक जटाशंकर पाण्डेय,बीर शंकर पाण्डेय, हरिशंकर पाण्डेय, दयाशंकर पाण्डेय, संतोष राय, पिंटू राय,शुभम राय, जगदीश पाण्डेय,विजय बहादुर पाण्डेय,घनश्याम पाण्डेय, देवनारायण पाण्डेय,