Sunday, May 19, 2024
साहित्य जगत

कोरोना से धरा मुक्त हो…

कोरोना से धरा मुक्त हो,

यही हृदय की है अभिलाषा।
कर्मठता से जियो जिंदगी,
यही जिंदगी की परिभाषा।

नया सृजन हो, नया रंग हो,
नई चेतना, नव उमंग हो।
तन भी नांचे, मन भी नांचे,
फुर्तीला हर अंग – अंग हो।

दुख की काली निशा खत्म हो,
आए सुख का स्वर्ण विहान।
यही कामना करता “वर्मा”,
कोरोना का हो अवसान।

डॉ. वी. के. वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती।