Saturday, June 29, 2024
बस्ती मण्डल

संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती मनाई गयी

संतकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा)संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती के अवसर पर उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार संत रविदास जी का जन्म माघ माह की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 1398 में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध नगर वाराणसी के गोवर्धन पुर गांव में हुआ था उनकी माता का नाम कर्मा देवी तथा पिता का नाम संतोष दास (रघु) था रविदास जी चर्मकार कुल से होने के कारण जूते बनाने का अपना पैतृक व्यवसाय उन्होंने हृदय से अपनाया था। वह पूरी लगन व परिश्रम से अपना कार्य करते थे। ऐसा कहा जाता है जिस दिन रविदास जी का जन्म हुआ था उस दिन रविवार था इसी के चलते इनका नाम रविदास पड़ा। हमारा देश साधु संतों और ऋषि मुनियों की धरती है। यहां अनेक महान संतों ने जन्म लेकर भारत भूमि को धन्य किया है। इन्हीं में से यह एक नाम महान संत शिरोमणि संत रविदास जी का है। संत रविदास जी बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया के आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन ही रविदास जी की जयंती मनाई जाती है। जो कि इस वर्ष 27 फरवरी 2021 यानी शनिवार के दिन मनाई जा रही है । संत रविदास जी ने देश में फैले सामाज में ऊंच-नीच छुआछूत भेदभाव जात पात की बुराइयों को दूर करते हुए।भक्त भावना से पूरे समाज को एक एकता के सूत्र में बांधने का काम किया था। संत रैदास और भगत रविदास जी के नाम से जाना जाता है। इनके मुख्य कहावत हैं।,मन चंगा तो कठौती में गंगा, इस वाक्य को संत शिरोमणि रविदास जी के द्वारा कहा गया है। वह जात पात के विरोधी थे इसीलिए उन्होंने लिखा है।, जाति, पाती में जाति है, जो केतन के पात, रैदास मनुष्य ना जुड़ सके, जब तक जाति ना जात,। इनकी इस साधुता को देखकर संत कबीर दास जी ने कहा था कि साधु में रविदास संत है। सुपात्र ऋषि सो मनिया। रविदास राम और कृष्ण भक्त परंपरा के कवि और संत माने जाते हैं। उनके प्रसिद्ध दोहे आज भी समाज में प्रचलित है। जिन पर कई धुनों में भजन भी बनाए गए हैं। जैसे, प्रभु तुम चंदन हम पानी, इस प्रसिद्ध भजन को सभी जानते हैं।