Wednesday, June 26, 2024
साहित्य जगत

“दैत्य कोरोना”(बाल कविता)

“दैत्य कोरोना”(बाल कविता)

बिल्ली रानी मास्क पहनकर
चलीं हैं देखो ये बन-ठन कर
चींकू चूहा मास्क ना पहनें
सबको मुंह चिढ़ाए,
डॉगी राजा भौं- भौं करके
सबको है ये कहते।
अपनी जान बचानी है तो
अधिक न निकलो घर से,
रहो सभी तुम घर के अंदर
कहता है ये बंकी बन्दर,
चिड़िया चीं -चीं कर बतलाती
हवा नहीं है सुरक्षित…
मानों तुम मेरी हिदायत
कर लो खुद को रक्षित,
हाथों को कर लो सेनेटाइज
गौ माता बतलाती..
रखो अपना ध्यान अपनों का
प्यार से हैं समझाती,
मस्ती में गिलगिल गिलहरी
चलती उछल- उछल कर,
कहती कपड़े तुम सब पहनों
साफ़- सुथरे बदल- बदल कर
कांव -कांव कौवा करके
बोले तनिक घुड़ककर,
बेफिक्री से यूं ना निकलो
खड़ा कोरोना दैत्य है बनकर।।

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)