Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

मिलेट पौष्टिक रूप से समृद्ध, खेती करने में आसान- उप निदेशक कृषि

बस्ती/ कृषि विभाग द्वारा तीन दिवसीय मिलेट्स पुनरोद्वार कार्यक्रम योजना के तहत कृषक उत्पादक संगठन (एफ०पी०ओ०) के 50 सदस्यों/प्रतिभागियों के बैच को बीज उत्पादन पर कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती में आयोजित प्रशिक्षण के दूसरे दिन मुख्य अतिथि उप निदेशक कृषि अशोक कुमार गौतम नें एफपीओ प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा की “मिलेट पौष्टिक रूप से समृद्ध, खेती करने में आसान और बिना किसी पर्यावरणीय प्रभाव वाली किसान-अनुकूल फसल है.

उन्होंने कहा की कहा कि मिलेट खाद्य और पोषण सुरक्षा, जैव विविधता को बढ़ावा देने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, “यह उचित समय है जब हम मिलेट के ब्रांड को पुनर्जीवित करें और सशक्त खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा दें.

उपनिदेशक कृषि अशोक कुमार गौतम नें कहा की किसान उत्पादक कंपनी खुद ही बीज उत्पादित कर अपना पहला मिलेट बीज प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित कर सकते है. उन्होंने बताया की इसके लिए सरकार अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है.

मृदा विशेषज्ञ डॉ. जगदीश मौर्य ने कहा की मोटे अनाज के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त है. बुवाई से पहले खेतों में लगे खरपतवार को साफ करने की जरूरत होती है. उन्होंने कहा की वैसे तो मोटा अनाज हर प्रकार की भूमि में पैदा की जा सकता है. जिस भूमि में अन्य कोई धान्य फसल उगाना संभव नहीं होता वहां भी ये फसलें सफलता पूर्वक उगाई जा सकती हैं. उतार-चढाव वाली, कम जल धारण क्षमता वाली, उथली सतह वाली आदि कमजोर किस्म में ये फसलें अधिकतर उगाई जा रही हैं.

वैज्ञानिक डॉ. वी. बी. सिंह नें बीज के बारे में जानकारी देते हुए बताया की बीज चार प्रकार के हहोते हैं जिन्हें प्रजनक बीज, आधारीय बीज, प्रमाणित बीज व सत्यापित बीज की श्रेणी में रखा गया है.

डॉ प्रेम शंकर नें श्री अन्न की खेती में कीट बीमारियों की रोकथाम के बारे में जानकारी दिया. वैज्ञानिक डॉ. अंजली वर्मा नें मिलेट के स्वास्थ्य वर्धक रेसिपी के बारे में जानकारी दी. हरिओम मिश्र नें श्री अन्न में पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर प्रकाश डाला.

सिद्धार्थ एफपीसी के निदेशक राम मूर्ति मिश्र नें कहा कि “श्री अन्न कोई नया अनाज नहीं है; किंतु, टिकाऊ गुणवत्ता और उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.” इसके अलावा, उन्होंने कहा कि मिलेट, पारंपरिक पोषक अनाज को लेकर संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला, मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्माण करने और पोषण संबंधी जागरूकता को संवेदनशील बनाने में निरंतर निवेश की आवश्यकता है.

बृहस्पति कुमार पाण्डेय नें एफपीओ सदस्यों को मिलेट्स की विभिन्न फसलो और उसके महत्व पर जानकारी देते ज्वार, बाजरा, सावां, कोदो, मडुवा (रागी) एवं रामदाना आदि के बीज उत्पादन की तकनीकी पर प्रकाश डाला. इस दौरान प्रतिभागियों को कृषि विज्ञान केंद्र में स्थित बीज उत्पादन प्रक्षेत्र का भ्रमण भी कराया गया साथ ही एफपीओ सदस्यों को बैग, और साहित्य उपलब्ध कराया गया.

इसके उपरान्त एफपीओ सदस्यों को जिला कृषि अधिकारी कार्यालय प्रांगण में स्थित बीज विद्यायन सयंन्त्र का भ्रमण करा मिलेट्स की विभिन्न फसलो के बीज विधायन की प्रक्रिया,बीज की पैकेजिंग, बीज प्रमाणीकरण एवं बीज भण्डारण की प्रक्रिया पर समझ बनाई गई.

उप निदेशक कृषि ने कहा की कृषि में बीज गुणवत्ता का विशिष्ट महत्व है. उन्होंने कहा की फसलों में लगने वाले अन्य लागत का अधिकतम लाभ अच्छी गुणता वाले बीजों का प्रयोग करके ही लिया जा सकता है. उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज के प्रयोग से ही लगभग 20 प्रतिशत उत्पादकता/उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है. अतः किसान भाईयों को चाहिए कि वे अपनी फसलों के बीज जैसे रागी, सांवा, कोदो, कुटकी, चीना, ज्वार, बाजरा, मक्का, आदि की फसलों में प्रत्येक तीन वर्षा पर बीज बदल कर बुवाई करें.

इस दौरान जिला कृषि अधिकारी डॉ. राजमंगल चौधरी नें मिलेट्स के विभिन्न प्रकार के उत्पाद एवं उन्हें तैयार करने की विधि मिलेट्स के विभिन्न उत्पादों के पैकेजिंग, लेबलिंग एवं मार्केटिंग के बारे में जानकारी दिया.

इस दौरान संकट हरण पाण्डेय, संजय श्रीवास्तव, जीतेन्द्र कुमार मिश्र, अश्वनी शुक्ल, केसी शुक्ल, राजेन्द्र सिंह, समरेन्द्र प्रताप सिंह, आलोक पाण्डेय, आन्नद कुमार पाण्डेय, संजय कुमार चौधरी, अमृतांश मिश्र, इमराना सहित अनेकों लोग मौजूद रहें.