Monday, July 1, 2024
हेल्थ

स्वास्थ्य सेवा को भी नगर निकाय चुनाव में मुद्दा बनाने की पहल

संतकबीरनगर,शहर की सरकार बनाने के लिए 11 मई को होने वाले नगर निकाय चुनाव में स्वास्थ्य सेवाओं को भी बड़ा मुद्दा बनाने की मुहिम चल रही है। लोगों का कहना है कि सड़क, बिजली, पानी, प्रकाश, स्वच्छता सहित अन्य जरूरी सुविधाएं तो चुनाव में मुद्दा हैं ही, इन्हीं के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को भी एक अहम मुद्दे के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए, खासतौर से क्षय उन्मूलन का मुद्दा ।

उनका कहना है कि नगरीय क्षेत्रों से टीबी का खात्मा एक बड़ा मुद्दा इसलिए भी है, क्योंकि हर व्यक्ति को टीबी मुक्त माहौल में सांस लेने का अधिकार है। क्षय उन्मूलन के मुद्दे पर काम कर रही संस्था रोटरी क्लब सेंट्रल के सचिव एलके पांडेय का कहना है कि आदमी स्वस्थ्य रहेगा तो मेहनत- मजदूरी करेगा तो परिवार तरक्की करेगा। टीबी एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी खुद तो प्रभावित होता ही है, जांच व इलाज न होने पर वह अपने निकट सम्पर्क में आने वालों को भी प्रभावित करता है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक देश से टीबी के खात्मे की समय सीमा निर्धारित की है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी की जांच व इलाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब इसे जनान्दोलन का रूप दिया जाए। लोगों को इस अभियान से जोड़ने के लिए निक्षय मित्र बना कर भी उनका सहयोग लिया जा रहा है। जनसेवकों की निक्षय मित्र के तौर पर भी बड़ी भूमिका हो सकती है। निक्षय मित्र को टीबी मरीज को गोद लेकर पोषण के लिए पोषक खाद्य सामग्री व इलाज के दौरान मानसिक सम्बल देना होता है । ज्यादातर टीबी मरीज कुपोषण से पीड़ित होते हैं और ऐसे में निक्षय मित्र की भूमिका उनको स्वस्थ बनाने में अहम हो जाती है। श्री पांडेय कहते हैं कि टीबी रोग पर इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा चर्चा हो जिससे संभावित रोगी जांच व इलाज के लिए खुद ही सामने आएं।

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क्‍या है लोगों की राय

स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी के इलाज के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। लोगों को टीबी की गम्भीरता के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। इस कार्य में भी नगर निकाय के प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा सकते हैं।

– डॉ एस डी ओझा, जिला क्षय रोग अधिकारी

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क्षय उन्मूलन के लिए कई सालों से हमारी संस्था काम कर रही है। इस बार की शहरी सरकार के चुनाव में प्रत्याशियों के समक्ष क्षय उन्मूलन का भी मुद्दा उठाया जा रहा है, इसके सार्थक परिणाम मिलने की उम्मीद है।

डॉ सोनी सिंह, अध्‍यक्ष, रोटरी क्‍लब

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टीबी के एक रोगी से पूरे परिवार व उसकी आय प्रभावित हो सकती है। जिन परिवारों में टीबी के प्रति भ्रांतियां हैं, उन परिवारों व मोहल्लों में टीबी मरीजों के लिए काफी मुश्किल हालात हो जाते हैं। लोगों के मन से भ्रांतियां समाप्त करने में चुने हुये नगर निकाय के प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है ।

– रेनू, टीबी सर्वाइवर, खलीलाबाद ब्‍लाक

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शहर से लेकर सीएचसी/पीएचसी व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तक टीबी की जांच व इलाज की सुविधा है। लक्षण दिखने के साथ ही अगर लोग जांच कराएं तो टीबी उन्मूलन काफी आसान होगा। इसके लिए नगर निकाय के नेटवर्क से लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

– अमित आनन्‍द, जिला कार्यक्रम समन्‍वयक, क्षय रोग

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क्षय उन्मूलन में जिले की स्थिति-

– वर्ष 2023 में सक्रिय टीबी रोगियों की संख्या- 422

– वर्ष 2022 में गोद लिए गए रोगियों की संख्या- 760

– वर्तमान में कुल डीआर टीबी मरीजों की संख्या- 167

– वर्ष 2021 में सफलतापूर्वक उपचारित मरीज- 2992

(सफलता दर 92 प्रतिशत)

-वर्तमान समय में जिले में निक्षय मित्रों की संख्‍या – 12