Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

गन्ने के लिए वरदान बनी बारिश,कीटनाशक व उर्वरक का करें छिड़काव

मुन्डेरवा। रविवार को जिले में बारिश से लोगों को गर्मी से बड़ी राहत मिली। साथ ही गन्ने के फसल के लिए यह बारिश लाभकारी साबित हुई है। किसान फसल के बढ़ाव के लिए उर्वरकों का प्रयोग व कीटनाशकों के छिड़काव कर बीमारियों से अपने फसलों को निजात दिला सकेंगे। साथ ही पौधों का तेजी से विकास भी होगा।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गन्ने के फसल को वर्ष में 1500 से 1750 एमएल पानी की आवश्यकता होती है। जिसका तकरीबन 50 फीसद पानी की पूर्ति बारिश से हो जाती है। शेष की आवश्यकता किसान सिंचाई से पूरी करते हैं। पिछले दो माह से उच्च तापमान के चलते गर्मी आग बरसा रही थी। जिसका प्रतिकुल असर गन्ने के फसलों में भी देखने को मिल रहा था। कुछ प्रजातियों के गन्ने की पत्तियों का उपरी हिस्सा सूखने लगा था। खेतों में नमी बने रहने के लिए किसानों को सिंचाई करना जरूरी हो जाता है। तेज गर्मी के चलते सिंचाई कार्य किसानों के लिए महंगा साबित होने लगा था।
अब हल्की बारिश होने से खेतों में नमी लौट आई है। चीनी मिल मुण्डेरवा के कार्यदाई संस्था एलएसएस के गन्ना सलाहकार एसपी मिश्र कहते हैं कि यह बारिश गन्ना किसानों के लिए अमृत के समान है। इस समय कीटनाशकों से बचाव के लिए प्रति एकड़ में 400 लीटर पानी
में 150 एमएल कोराजन मिलाकर जड़ों में छिड़काव ( ड्रेंचिंग ) करने की जरूरत है। यह गन्ने के लिए बहुत ही कारगर साबित होगा। चोटी बेधक कीटों से लेकर अन्य बीमारियों से भी निजात मिलेगी। इसके अलावा पौधों के तेजी से बढ़ाव के लिए प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में दो किलोग्राम एनपीके (19:19:19) ,एक पैकेट 500 एमएल नैनो यूरियाा व 250 एमएल एमिडाक्लोरोपिड का गन्ने की पत्तियों पर स्प्रे करें। किसान प्रति एकड़ एक बोरा यूरिया का अलग से छिड़काव भी कर सकते हैं। बारिश के बाद किसानों के ये सभी प्रयास गन्ने की फसल के लिए लाभकारी साबित होंगे।

चीनी मिल मुण्डेरवा के प्रधान प्रबंधक ब्रजेंन्द्र द्विवेदी ने कहा कि ये कीटनाशक व उर्वरक किसानों के लिए अनुदानित दर पर मिल में उपलब्ध है। जिसका किसान लाभ उठा सकते हैं। इस कार्य में मिल के गन्ना विकास से जुड़े फील्ड स्टाफ भी किसानों की मदद कर रहे हैं। किसान गन्ने की बेहतर उपज हासिल करने के लिए समय से उर्वरक व कीटनाशकों के प्रयोग व जरूरत पड़ने पर सिंचाई अवश्य करें। इससे किसानों को अधिक उपज हासिल होगी व साथ ही गन्ने से चीनी की अधिक परता मिलने की स्थिति में मिल को सुचारू रूप से चलाने में मदद भी मिलेगी।