Sunday, July 7, 2024
हेल्थ

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान शुरू

कुरुपता और अपंगता की बीमारी फाइलेरिया से बचने के लिए साल में एक बार जरुर खाएं दवा – सीएमओ

संतकबीरनगर। फाइलेरिया या हाथीपांव कुरूपता और अपंगता की बीमारी है । इससे बचाव का सबसे सरल और आसान उपाय है कि साल में एक बार चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड के दौरान पांच साल तक लगातार फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया जाए । इस दवा का सेवन न करने वालों को अगर एक बार हाथीपांव हो जाता है तो बीमारी पर सिर्फ आंशिक नियंत्रण संभव है, इसका संपूर्ण इलाज नहीं हो सकता। इसलिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम जब किसी के घर जाए तो उसके सामने दवा का सेवन अवश्य करें। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ इन्‍द्र विजय विश्‍वकर्मा ने वृहस्पतिवार को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद में एमडीए अभियान का शुभारंभ करते हुए कहीं ।

इस मौके पर सीएमओ ने जिला अस्‍पताल के मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक डॉ ओपी चतुर्वेदी, अपर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी वेक्‍टर बार्न डिजीज डॉ वीपी पाण्‍डेय, जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह, एपीडेमियोलाजिस्‍ट ( जिला महामारी रोग विशेषज्ञ ) डॉ मुबारक अली, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एस रहमान, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद के अधीक्षक डॉ आर एस यादव समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों को दवा खिलाई। वहीं मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक ने सीएमओ को फाइलेरिया की दवा खिलाई। सीएमओ ने खुद दवा खाने के इलाज के लिए आए रामवरन राय को दवा खिलाया । यह अभियान 27 मई तक चलेगा। जिले के सभी ब्लॉक और शहरी क्षेत्र में भी अभियान का शुभारंभ एक साथ किया गया । अभियान में आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, नगरीय निकाय विभाग समेत कुल 14 सरकारी विभाग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल(पीसीआई) और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफार) जैसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी स्वास्थ्य विभाग को सहयोग प्रदान कर रही हैं ।

सीएमओ ने बताया कि कि जिले में कुल 16.77 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलानी है। इनमें से दो से 5 साल की आयु के 1.57 लाख, 6 से 14 साल आयु के 4.53 लाख व 16 साल से अधिक आयु वर्ग के कुल 10.06 लाख लोगों को यह दवा खिलाई जानी है। इसके लिए कार्ययोजना निधारित कर ली गयी है। 44.4 लाख डीईसी की गोलियां स्‍वास्‍थ्‍य इकाइयों को वितरित की जा चुकी हैं। हर 1250 लाभार्थी पर दो औषधि उपचारक लगाए गए हैं। विश्व के 40 फीसदी फाइलेरिया मरीज भारत में ही रहते हैं । देश के 256 जिले जबकि प्रदेश के 50 जिले फाइलेरिया प्रभावित हैं। भारत में 60 करोड़ से ज्यादा लोगों पर फाइलेरिया का खतरा है । देश में 8.4 लाख लोग हाथीपांव जबकि 3.8 लाख लोग हाइड्रोसील से ग्रसित हैं। फाइलेरिया के कारण होने वाले हाइड्रोसील की तो सर्जरी हो जाती है लेकिन हाथ, पैर, स्तन या शरीर के अन्य अंगों का सूजन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है । जिले में स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में फाइलेरिया रोगियों का इलाज चल रहा है। इस बीमारी से और लोग न पीड़ित हों, इसके लिए सभी का दवा सेवन करना अनिवार्य है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वेक्‍टर बार्न डिजीज डॉ वी पी पाण्‍डेय ने बताया कि फाइलेरिया वुचरेरीआ बेनक्रोफटाई नामक परजीवी से होता है जो कि क्यूलेक्स क्विनकीफासिएटस प्रजाति के मच्छर काटने से फैलता है। इस बीमारी के परजीवी मनुष्य के लसिका तंत्र में रहते हैं । संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में15 और कभी-कभी 20 साल भी लग जाते हैं । संक्रमित व्यक्ति से बीमारी का प्रसार होता है और उसकी लसिका तंत्र में क्षति पहुंचती रहती है । लंबे समय तक बीमारी बने रहने से हाथ, पैर, स्तन में सूजन (हाथीपांव) और अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) हो जाता है । हाथीपांव के रोगियों में बैक्टेरियल संक्रमण होता है जिससे तेज ज्वर, सूजन एवं दर्द होता है । हाथीपांव के मरीज बिस्तर तक सीमित हो जाते हैं और उनकी दिनचर्या व रोजी-रोटी भी प्रभावित होती है। सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत साल में एक बार डीईसी और एलबेंडाजोल की गोली का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने करके इस बीमारी से बचा जा सकता है । दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर अन्य सभी को दवा का सेवन करना अनिवार्य है ।

जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने बताया कि हाथीपांव के मरीजों को जिले में मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट दी जा रही है और उन्हें घाव के देखभाल के सही तरीके भी बताए जा रहे हैं । एमडीए अभियान के दौरान यह संदेश भी देना है कि दवा के सेवन करने से उन लोगों में प्रतिक्रिया देखने को मिलती है जिनके भीतर परजीवी मौजूद होते हैं, लेकिन यह लक्षण थोड़े देर में स्वतः ठीक हो जाते हैं । इनसे किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। दवा का सेवन हमेशा खाना खाने के बाद ही करना है । अगर दवा के सेवन के बाद सिरदर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों या जोड़ो में दर्द, चक्कर आने, उल्टी या मतली, पेट में दर्द या डायरिया के लक्षण दिखें तो घबराएं नहीं । इन लक्षणों का मतलब है कि परजीवियों पर हमला हो रहा है । विशेष परिस्थिति में आशा कार्यकर्ता के जरिये ब्लाक रैपिड रिस्पांस टीम से संपर्क कर सकते हैं ।
इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसडी ओझा, डॉ वी के सोनी, डॉ सुखदेव, मलेरिया इंस्‍पेक्‍टर शशिबाला राय, सीमा सिंह, प्रेम प्रकाश कुमार, दीपक यादव, संजय यादव, अतिन श्रीवास्‍तव, बीपीएम अभय त्रिपाठी, एएनएम इथिलेश यादव, नेहा चौधरी, स्‍टाफ नर्स कल्‍पना वर्मा, नीलम, जूही पाण्‍डेय, पाथ संस्‍था के डॉ करन, पीसीआई के जिला समन्‍वयक मो आसिफ, जिला सूचना अधिकारी सुरेश कुमार के साथ ही साथ अन्‍य लोग भी मौजूद रहे।